लोस चुनाव : घोसी में सबसे छोटी सीपीआई और सबसे बड़ी जीत भाजपा की
लखनऊ(हि.स.)। पूर्वांचल की अहम संसदीय सीटों में से एक घोसी किसी जमाने में वामदलों का मजबूत गढ़ हुआ करती थी। कम्युनिस्ट पार्टी आफ इण्डिया (सीपीआई) ने चार बार जीतकर इस सीट पर लाल झंडा फहराया है। इस सीट पर अब तक हुए 19 चुनाव में भाजपा सिर्फ एक बार जीत सकी है। लेकिन भाजपा की ये जीत अब तक की सबसे बड़ी जीत के तौर पर दर्ज है। इस सीट पर सबसे कम अंतर से जीत का रिकार्ड सीपीआई के खाते में है।
4288 वोटों से जीते जय बहादुर
सीपीआई ने इस सीट पर 1962, 1967, 1971 और 1980 में जीत दर्ज की है। चौथी लोकसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में सीपीआई के जय बहादुर ने जीत हासिल की। चुनाव में जय बहादुर को 68,850 (24.76 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के पी0बी0बी0 मिश्रा को 64,650 (23.22 प्रतिशत) वोट हासिल हुए। जय बहादुर 4288 वोटों के अंतर से विजयी हुए। इस चुनाव में कुल 178,070 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव मैदान में 6 प्रत्याशी थे। इस चुनाव में 58.10 फीसदी वोटिंग हुई। घोसी सीट पर ये अब तक की सबसे छोटी जीत है। गौरतलब है 1991 में कांग्रेस के कल्पनाथ राय को 4429 वोटों के अंतर से जीत मिली थी।
1 लाख 46 हजार वोटों से जीते भाजपा के हरिनारायण
भाजपा को इस सीट पर अब तक सिर्फ एक बार 2014 के चुनाव में जीत नसीब हुई है। 2014 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर ने बसपा के मौजूदा सांसद दारा सिंह चौहान को पटखनी दी थी। जीत का अंतर 1 लाख 46 हजार 15 वोटों का था। हरिनारायण राजभर को 379,797 (36.52 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं दारा सिंह चौहान के खाते में 233,782 (22.48%) वोट आए। कुल 10 लाख 39 हजार 656 वोटरों ने इस चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव में 54.98 फीसदी वोटिंग हई।
2019 के चुनाव में बसपा के अतुल कुमार सिंह ने भाजपा के हरिनारायण को शिकस्त दी थी। तब जीत का अंतर 1 लाख 22 हजार 568 वोटों का था। घोसी सीट पर अब तक सबसे बड़ी जीत भाजपा के हरिनारायण राजभर खाते में दर्ज है।
डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश