लोन मोरेटोरियम के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया
नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम के मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कर्जदाताओं के साथ भेदभाव किया है। वकील विशाल तिवारी ने कहा कि कर्जदाताओं की तकलीफों का बैंक बेजा फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक ने सरकार की एडवाइजरी का पालन नहीं किया। इस पर रिजर्व बैंक की ओर से वकील वीवी गिरि ने कहा कि अगर पंजाब नेशनल बैंक से उनकी शिकायत है तो पंजाब नेशनल बैंक के खिलाफ अलग याचिका दायर की जाए या उसे पक्षकार बनाया जाए।
पहले की सुनवाई के दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ये आर्थिक नीति का मसला है। इसमें रिजर्व बैंक और सरकार को और ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट को ये नहीं भूलना चाहिए कि छोटे-मोटे लाखों जमाकर्ता हैं। ये मसला बैंकों पर छोड़ना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विशाल तिवारी ने कहा था कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक से कहा है कि रिस्ट्रक्चरिंग का काम 31 मार्च तक बढ़ाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि इस मसले पर हमें हरीश साल्वे की बात सुननी पड़ेगी।
पिछले 8 दिसंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर केंद्र के निर्देश पर जारी किए गए। पिछले 27 नवंबर को केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्ट को सरकार की वित्तीय नीतियों में दखल नहीं देना चाहिए। सुनवाई के दौरान वकील विशाल तिवारी ने कहा था कि उन्होंने मोरेटोरियम की अवधि 31 मार्च 2021 तक बढ़ाने के लिए याचिका दायर किया है। उन्होंने कहा था कि बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कारपोरेशन लोगों को प्रताड़ित नहीं करें, इसका दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए। कर्जदाता बैंक गैरकानूनी तरीका अपना रहे हैं और लोगों से गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
तिवारी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौरान बारह करोड़ बीस लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। जब कोई व्यक्ति तीस से पैंतीस हजार रुपये प्रति महीने कमा रहा था, वह दस हजार रुपये ईएमआई के रूप में देता था लेकिन जब उसकी आमदनी काफी घट गई है तो वह ईएमआई कहां से चुकाएगा। सुनवाई के दौरान इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि बैंक कर्जदारों को लेकर काफी असहाय हो गए हैं।