लोकसभा 2024 : कांग्रेस से आया ब्राह्मण प्रत्याशी, अजय कपूर भाजपा की करेंगे भरपाई!

– भाजपा ने अभी तक नहीं उतारा उम्मीदवार, समीकरणों पर हो रहा विचार

– लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारती रही कांग्रेस

कानपुर (हि.स.)। लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है और प्रथम चरण के तहत सीटों पर नामांकन प्रक्रिया भी शुरूहो गई है, लेकिन कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अभी तक भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा। देर रात कांग्रेस ने लगातार छह बार से वैश्य उम्मीदवार रहे श्रीप्रकाश की जगह ब्राह्मण चेहरा उतार दिया। इन सबके बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं कि कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर भाजपा के वोटों में सेंध लगाने का काम कर दिया। तो वहीं भाजपा कांग्रेस की इस चाल को पहले ही समझ गई थी और कांग्रेस से तीन बार विधायक रहे राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर को हाल ही में अपने पाले में कर लिया। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि ब्राह्मण उम्मीदवार आने से जो वोट कटेगा उसकी भरपाई अजय कपूर के जरिये हो जाएगी और कानपुर सीट पर एक बार फिर भाजपा की ही जीत होगी।

राम मंदिर आंदोलन से उपजी आस्था और संघ की शहर में अच्छी पैठ होने से 1991 में पहली बार कानपुर नगर लोकसभा सीट भाजपा जीतने में सफल रही। यही नहीं, जीत का अंतर करीब 28 प्रतिशत मतों का रहा और ब्राह्मण उम्मीदवार जगतवीर सिंह द्रोण संसद पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद 1996 और 1998 में भी संसद में कानपुर का जनप्रतिनिधित्व द्रोण ने ही किया। हालांकि उनके पक्ष में मतदान प्रतिशत कम होता चला गया और अन्तत: 1999 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने शिकस्त दे दी। 1998 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल पर कांग्रेस बराबर भरोसा जताती रही और पिछले लोकसभा चुनाव तक कुल छह बार उम्मीदवार बनाया। इसमें पहली बार को छोड़कर लगातार तीन बार उन्हें जीत मिली और इधर भाजपा लहर में दो लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण उम्मीदवार क्रमश: डॉ. मुरली मनोहर जोशी और सत्यदेव पचौरी से उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा था। इस बीच वह यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से अबकी बार उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इसके संकेत उन्होंने पिछले चुनाव में हार के दौरान ही दे दिया था। ऐसे में अजय कपूर का धड़ा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया।

यहां यह भी बता दें कि कानपुर में पिछले तीन दशक से कांग्रेस में श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर ही सर्वमान्य नेता रहे और दोनों में एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ भी बनी रहती थी। अजय कपूर के अलावा आलोक मिश्रा पिछले पांच वर्ष से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे। माना जा रहा था कि इन्हीं दोनों के बीच में कांग्रेस किसी एक को टिकट देगी, हालांकि उम्मीदवार तो अन्य भी रहे। इसी बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे अजय कपूर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में लगभग पूरी तरह से साफ हो गया था कि 1996 के बाद कांग्रेस एक बार फिर ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है और उनमें प्रमुख दावेदारों में आलोक मिश्रा का नाम सबसे आगे रहा, देर रात उनके नाम पर मुहर भी लग गई।

अजय कपूर करेंगे भरपाई

औद्योगिक नगरी कानपुर नगर लोकसभा सीट पर अबकी बार किसके सिर पर ताज सजेगा, इसका अनुमान लगाना नामुमकिन है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में बैठाए जा रहे समीकरण काफी कुछ कह रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी यह समझ चुकी थी कि अबकी बार कांग्रेस से ब्राह्मण उम्मीदवार ही आएगा। जिससे अजय कपूर के गुट की उम्मीदों पर पानी फिरेगा। इस बात को अजय कपूर भी भांप चुके थे तभी हाल ही में दिल्ली में उन्होंने भाजपा को अपना लिया। अजय कपूर के भाजपा में आने से यह चर्चाएं शुरू हुईं कि भाजपा अजय कपूर को उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अजय कपूर को टिकट नहीं मिलेगा उनके लिए दूसरे विकल्प हैं। यह भी बताया जा रहा है कि अजय कपूर को इसीलिए भाजपा में लाया गया कि कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार होने से जितना वोट भाजपा से कटेगा उससे कहीं अधिक अजय कपूर भरपाई कर देंगे और एक बार फिर कानपुर नगर लोकसभा सीट पर कमल ही खिलेगा। भाजपा का यह तर्क पूरी दमखम के साथ सटीक बैठता भी है, क्योंकि अजय कपूर गोविन्द नगर और किदवई नगर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके साथ ही शहर में उनकी अच्छी खासी पहचान है और जनता उन्हें पसंद भी करती है। हालांकि उनका कोई जातीय समीकरण नहीं है और सिंधी समाज से आते हैं, लेकिन बड़े कारोबारी होने के नाते लोगों को आर्थिक सहयोग भी बहुत करते हैं और सभी के दुख- सुख में शामिल होने का उनका प्रयास रहता है। इन्हीं सब वजहों से उनका शहर में उतना वोटर है कि हार जीत का समीकरण बना बिगाड़ सकते हैं।

अजय सिंह/सियाराम

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