लड्डू गोपाल के जन्म की तैयारियों में जुटा है पूरा देश, 40 देशों में मथुरा की बनी पोशाक धारण करते हैं ठाकुरजी

मथुरा (हि.स.)। पूरे देशभर में कन्हैया के जन्म की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। कान्हा की जन्मस्थली मथुरा-वृंदावन में इसकी तैयारियां कुछ अलग ही आकर्षक रूप से की जा रही है। ब्रज की बनी पोशाकें अपने में कुछ अलग ही महत्व रखती हैं जिसके कारण 40 देशों में पोशाकें डिमांड पर भेजी जाती हैं और कान्हा वह पोशाकें धारण करते हैं। कन्हैया की इस ड्रेस की डिमांड मुख्य रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दुबई और ओमान से ज्यादातर आती हैं। दुकानदार पोस्ट और कोरियर से इन देशों में कान्हा की ड्रेस भेजते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कान्हा की ड्रेस और सज्जा से जुड़े सामानों का करीब 500 करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है।

जन्माष्टमी पर कान्हा को नई पोशाक पहनाई जाती है, जो सिर्फ मथुरा में ही बनती है। इनकी कीमत 5 रुपए से 50 हजार तक है। मथुरा-वृंदावन में करीब 20 हजार लोग कान्हा के कपड़े तैयार करने के कारोबार से जुड़े हुए हैं। मथुरा में करीब 700-800 दुकानें हैं, जो कान्हा की पोशाक बेचते हैं। 4 से 5 हजार परिवार इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें कारीगर, कच्चा सामान बेचने वाले और कारोबारी शामिल हैं। वैसे तो साल भर पोशाक तैयार की जाती है। मगर, जन्माष्टमी से 2 महीने पहले ज्यादा तेजी आ जाती है। इस बार जन्माष्टमी पर देश-दुनिया से करीब 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। यह श्रद्धालु भी मथुरा आकर कान्हा की पोशाक जरूर खरीदते हैं।

कारोबारी कान्हा शर्मा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में विदेशों में भी अब वृंदावन में तैयार होने वाली पोशाक और मुकुट के अलावा श्रृंगार सामग्री की डिमांड बढ़ी है। जन्माष्टमी के चलते बड़ी संख्या में ऑर्डर मिले हैं। दिन रात कारीगरों से काम लिया जा रहा है। अभी भी जन्माष्टमी के लिए ऑर्डर आ रहे हैं। ये सभी काम हर हाल में जन्माष्टमी से कम से कम दो दिन पहले पूरा कर उन्हें सौंपने हैं।

कारोबारियों ने बताया कि यूके, रूस, जापान, जर्मनी और मैक्सिको से ऑर्डर आ रहे हैं। इसके अलावा, अलावा अरब कंट्री कतर के कई शहरों से भी ऑर्डर आए हैं। इन देशों के अलावा 40 से ज्यादा देशों से पोशाक और श्रृंगार के सामान के आर्डर हैं। समय के साथ स्थानीय पोशाक व्यवसायियों ने इन ऑर्डरों को पूरा कर उन देशों के लिए कोरियर भी कर दिया है। जिससे कि जन्माष्टमी के पूर्व ही कृष्ण भक्तों को ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार का सामान मिल जाए और किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

महेश/बृजनंदन

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