लखनऊ में मेट्रो ट्रेन पर भारी पड़ रहा पतंगबाजी का शौक, 03 साल में दर्ज हुए 508 मामले
लखनऊ, 09 दिसम्बर (हि.स.)। राजधानी में पतंगबाजी का शौक अब मेट्रो ट्रेन पर भारी पड़ रहा है। पतंग उड़ाने में इस्तेमाल हो रहा चीनी मांझा ओएचई लाइन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। पिछले तीन सालों में ट्रिपिंग के 508 मामले लखनऊ मेट्रो ने दर्ज कराए हैं।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के डीजीएम प्रथम हितेश चंदानी ने बुधवार को बताया कि मेट्रो कॉरिडोर के निकट पतंग न उड़ाने की कई अपीलों के बावजूद लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गत सोमवार रात करीब नौ बजे विश्वविद्यालय स्टेशन के नजदीक मेट्रो की ओएचई लाइन में चीनी मांझा फंसा होने के कारण ट्रिप हो गई थी। इसके चलते कुछ वक्त के लिए बिजली आपूर्ति बाधित हुई और एक लाइन पर मेट्रो की सेवा कुछ समय के लिए प्रभावित हुई। यूपीएमआरसी ने इस संबंध में महानगर थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है। पिछले तीन सालों में ट्रिपिंग के 508 मामले लखनऊ मेट्रो ने दर्ज कराए हैं। हितेश चंदानी ने बताया कि मेट्रो रेल अधिनियम 2002 के तहत मेट्रो संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर दस साल की सजा और बिना वारेंट गिरफ्तारी का प्रावधान है। चीनी मांझे में धातु का इस्तेमाल होने की वजह से विद्युत आपूर्ति बाधित होती है, साथ ही लोग पतंग उड़ाने के लिए कॉपर के तार का इस्तेमाल करते हैं, जिससे लोगों के गले और आंखों में गंभीर चोट आने के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। मेट्रो की ओएचई लाइन से 25 हजार वोल्ट या 25 केवी वोल्टेज की बिजली आपूर्ति होती है। इससे पतंग उड़ाने वाले की बिजली के करेंट की चपेट में आने से जान भी जा सकती है। नवम्बर 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में चीनी मांझे की बिक्री पर रोक लगा दी थी।