रोजा इफ्तार का आयोजन कराया गया

उतरौला (बलरामपुर)
समाजसेवी, शिक्षक सिराजुद्दीन व दवा कारोबारी रफीउद्दीन राजू द्वारा अपने आरा मशीन के पास मैदान में रोजा इफ्तार का आयोजन कराया गया।
मौलाना फरीद ने कहा कि रमजान में हर नेक काम का सवाब (पुण्य) अन्य दिनों की अपेक्षा 70 गुना ज्यादा मिलता है, लेकिन रोजे का सवाब दूसरे किसी भी नेक अमल से ज्यादा होता है। कुरआनशरीफ में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि तुम्हारे ऊपर रोजे को फर्ज किया जैसा कि तुमसे पहले लोगों पर भी इसे फर्ज किया था ताकि तुम परहेजगार बन जाओ। परहेजगारी का मतलब बुराइयों से पाक व इज्जतदार बनना है। गुनाहों व बुराइयों से बचकर जीवन व्यतीत करने की शिक्षा रोजा देता है। रोजेदारों को इफ्तार कराने का सवाब रोजेदार के बराबर मिलता है। रसूल-ए-करीम का फरमान है कि रमजान भलाई का महीना है। अगर कोई रोजेदार भाई को इफ्तार करा देता है तो वह भी रोजेदार के बराबर सवाब का हकदार होता है। उसे भी उतना ही सवाब मिलता है जितना रोजेदार को मिलता है और रोजेदार के सवाब में कोई कमी नहीं होती है। नबी-ए-करीम ने इफ्तार में जल्दी करने की ताकीद फरमाते हुए कहा है कि अगर रोजेदार इफ्तार में जल्दी करता है तो वह कभी भी खैर व भलाई से वंचित नहीं हो सकता है, लेकिन समय का ख्याल रखना चाहिए। इफ्तार के समय रोजेदार की हर नेक दुआ कबूल होती है।
हाफिज नूरे इस्लाम ने कहा कि रसूल-ए-करीम ने सहरी खाने को कहा है। वे खुद सहरी खाकर रोजा रखते थे। उन्होंने फरमाया कि सहरी खाओ क्योंकि सहरी खाने मे बरकत है। सहरी खाने से दिनभर रोजा रखने की ऊर्जा मिल जाती है। सहरी भर पेट या नाश्ते के बराबर हो सकती है। एक घूंट पानी या एक खजूर ही सही सेहरी के तौर पर लेना सवाब हासिल करने के साथ ही सुन्नत अदा कर सकते हैं। सहरी में दूध फल शामिल किया जा सकता है, मिठी चीजें खाना सुन्नत है। सहरी खाने वाले के लिए फरिश्ते भी खैर व बरकत की दुआ करते हैं।
डॉ बाबर सिद्दीकी, आमिर निजाम, शमीम मनिहार, नवाज शरीफ, इस्माइल, फजलुर्रहमान, हसन मोहम्मद, असलम इदरीसी समेत भारी संख्या में रोजेदारों ने रोजा इफ्तार किया।

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