रुपये ने बनाया कमजोरी का नया रिकॉर्ड, डॉलर के मुकाबले 81.23 रुपये तक फिसली भारतीय मुद्रा
– गिरावट के बाद निचले स्तर से रुपये ने की 38 पैसे की रिकवरी
नई दिल्ली(हि.स.)। भारतीय मुद्रा बाजार में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन रुपये ने गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाया। भारतीय मुद्रा रुपया आज पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 रुपये के स्तर से नीचे गिरकर खुला और थोड़ी ही देर में गिरकर 81.23 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपये का ये अभी तक का सबसे निचला स्तर है। हालांकि बाद में रुपये की स्थिति में सुधार भी हुआ, जिसके कारण दोपहर 12 बजे के करीब भारतीय मुद्रा रिकवरी करके डॉलर के मुकाबले 80.85 रुपये के स्तर पर आ गई।
इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में भारतीय मुद्रा ने आज 23 पैसे की कमजोरी के साथ 81.09 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। वैश्विक दबाव की वजह से शुरुआती दौर में डॉलर की मांग में तेजी का रुख बना, जिसके कारण रुपये में तेज गिरावट का रुझान बनने लगा। थोड़ी देर में ही भारतीय मुद्रा ऐतिहासिक गिरावट के साथ 81.23 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई।
रुपये की कीमत में आई इस जोरदार गिरावट के बाद मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ना शुरू हो गया। डॉलर का प्रवाह बढ़ने और उसकी मांग में मामूली कमी आने की वजह से दोपहर 12 बजे तक रुपया निचले स्तर से 38 पैसे की रिकवरी करके 80.85 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। इस रिकवरी के बावजूद बाजार में अभी भी रुपये पर लगातार दबाव बना हुआ है, जिसकी वजह से भारतीय मुद्रा में एक बार फिर गिरावट आने की आशंका बनी हुई है। इससे पहले गुरुवार को रुपये ने जोरदार कमजोरी का प्रदर्शन करते हुए 80.86 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार का अंत किया था।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बाद से ही ज्यादातर देशों के बाजारों में घबराहट का माहौल बना हुआ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अलावा बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विस नेशनल बैंक ने भी महंगाई पर काबू पाने के लिए इसी हफ्ते ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। बैंक ऑफ इंग्लैंड लगातार सातवीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है। इन बैंकों के अलावा कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का तरीका अपनाया है, जिसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
मयंक मोहन का कहना है कि दुनिया भर में बने घबराहट के माहौल और वैश्विक मंदी की आशंका के कारण ज्यादातर बड़े निवेशक बिकवाली कर अपना पैसा सुरक्षित निकालने की कोशिश में जुट गए हैं, जिसकी वजह से मुद्रा बाजार में डॉलर की मांग में तेजी आ गई है। डॉलर इंडेक्स 20 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से दुनिया भर की तमाम मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर कारोबार कर रही हैं। इसका असर भारतीय मुद्रा रुपये पर भी पड़ा है और यह ऐतिहासिक स्तर तक नीचे जाने का नया रिकॉर्ड बना चुका है।
योगिता/दधिबल