राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के चित्र का किया अनावरण
-वाजपेयी के व्यक्तित्व में शक्ति व सौहार्द का अद्भुत समन्वय : राष्ट्रपति
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर वर्चुल माध्यम से आईसीसीआर मुख्यालय में वाजपेयी के चित्र का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि अटल जी के व्यक्तित्व में शक्ति और सौहार्द का अद्भुत समन्वय था। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे भी मौजूद थे।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना था। उनकी विदेश नीति का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह पड़ोसी देशों के साथ मित्रता के साथ-साथ भारत को सामरिक रूप से शक्ति सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे। उनके व्यक्तित्व में शक्ति और सौहार्द का अद्भुत समन्वय था।
राष्ट्रपति ने कहा अटल जी, उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे। सर्वमान्य और सर्वप्रिय अटल जी का सद्व्यवहार, विनोदप्रियता, वाक्पटुता और प्रभावी कार्यशैली जनसेवकों के लिए शिक्षा व प्रेरणा के स्रोत हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजस्थान के पोखरण में 11 और 13 मई, 1998 को किए गये भारत के पांच परमाणु परीक्षण का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी के आगमन के समय, प्रधानमंत्री के रूप में, अटल जी ने विश्व समुदाय के सम्मुख भारत को एक नई शक्ति के रूप में स्थापित किया।
उन्होंने कहा कि अटल जी अपने आचरण से सभी राजनैतिक दलों तथा सार्वजनिक जीवन में सक्रिय लोगों को यह सीख देते रहे कि राष्ट्र-हित सर्वोपरि होता है। उनका अपना आचरण दलगत राजनीति से सदैव ऊपर रहा। सन 1971 के युद्ध में अटल जी तत्कालीन सरकार के समर्थन में दृढ़ता के साथ खड़े रहे।
राष्ट्रपति ने कहा, अटल जी सभी देशों, विशेषकर पड़ोसियों के साथ मधुर सम्बन्धों पर ज़ोर देते थे। वे कहा करते थे कि मित्र बदले जा सकते है लेकिन पड़ोसी नहीं। इसके साथ-साथ, देश की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाते हुए परमाणु परीक्षण का निर्णय लेने की दूरदर्शिता भी उनमें थी।
उन्होंने कहा एक तरफ अटल जी ने शांति और मित्रता के लिए बस से लाहौर तक की यात्रा की तो दूसरी तरफ उन्होंने पोखरण से कारगिल तक भारत की सामरिक शक्ति का ठोस परिचय भी दिया। उनके व्यक्तित्व में शक्ति और सौहार्द का अद्भुत समन्वय था।
वहीं राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आईसीसीआर ने अटल जी का चित्र लगाकर उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की है। यह आईसीसीआर की टीम के लिए गौरव का विषय है मार्च 1977 से अगस्त 1979 तक, जब अटल जी भारत के विदेश मंत्री थे, तब उन्होंने इस संस्था के पदेन अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था।