यूपी में वोट से पहले जितिन प्रसाद के रूप में बीजेपी की कांग्रेस को चोट


नोएडा । उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को तगड़ा चोट दिया है। भाजपा ने कांग्रेस पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उत्तर प्रदेश में उसके एक कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को छीन कर और अपने खेमे में मिलाकर मिशन 2022 की अपनी राह आसान कर ली है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उनके शामिल होने से भाजपा को न सिर्फ फायदा मिलेगा, बल्कि यूपी की सियासत में भी इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा, क्योंकि माना जाता है कि ब्राह्मण वोटरों में जितिन प्रसाद की अच्छी पकड़ है। यहां भाजपा ने जितिन प्रसाद को छीन कांग्रेस को बड़ी चोट तो दी ही है, साथ ही कभी सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करने वाले समूह जी-23 से भी पार्टी को पहला बड़ा झटका मिल गया है। दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और यूपी कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और संगठन में चुनाव के लिए सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र के सार्जजनिक होने पर काफी बवाल भी मचा था। बता दें कि इस ग्रुप में कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे और भी बड़े नाम थे। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश की लखीमपुरी कांग्रेस कमेटी ने जितिन प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी और उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित हुआ था। इतना ही नहीं, बैठक में जितिन प्रसाद के खिलाफ नारे भी लगे थे। जितिन प्रसाद काफी समय से संवाद के जरिए ब्राह्मणों को कांग्रेस से जोड़ने के काम में लगे हुए थे। इसके अलावा, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा ने कांग्रेस से जितिन प्रसाद की नाराजगी का फायदा उठाया है। जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों को तेज करते हुए अपनी तमाम कमेटियों का गठन किया था, तो उसमें प्रदेश में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा बने जितिन प्रसाद का नाम सूची से गायब है। हालांकि, जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए कितना नुकसानदायक होगा और भगवा पार्टी के लिए कितना फायदेमंद यह तो भविष्य ही तय करेगा, मगर इतना तो तय है कि ब्राह्मण वोट जरूर बंटेंगे। इसके अलावा, जितिन प्रसाद का पाला बदलना कोई बड़ी बात भी नहीं है, क्योंकि जितिन प्रसाद को यह बगावत विरासत में मिली है। दरअसल, जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, वह हारे और कुछ ही समय बाद उनका निधन भी हो गया था।

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