यूके स्ट्रेन के उपचार में भी जारी रहेगी पुरानी इलाज व्यवस्था

एनटीएफ ने कोविड की जांच, उपचार और निगरानी की रणनीति पर किया चर्चा

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। आईसीएमआर ने नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद पॉल और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग में सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव की सह अध्यक्षता में कोविड-19 पर बने राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की एक बैठक बुलाई। बैठक में एम्स के निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया; भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई); निदेशक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी); स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के अन्य प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्वतंत्र विषय विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। एनटीएफ का मुख्य उद्देश्य हाल में यूके में वायरस का नया रूप सामने आने की खबरों को देखते हुए सार्स-सीओवी-2 के लिए परीक्षण, उपचार और निगरानी की रणनीतियों में प्रमाण आधारित संशोधनों पर चर्चा करना था। वायरस के इस रूप में गैर समानार्थी (अमीनो एसिड में बदलाव) परिवर्तन, 6 समानताएं (गैर अमीनो एसिड बदलाव) और 3 विलोपन हैं। आठ परिवर्तन (म्यूटेशंस) स्पाइक (एस) जीन में मौजूद हैं, जो एसीई2 रिसेप्टर्स की बाइंडिंग साइट (रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन) का वहन करते हैं, जो मानव श्वसन कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश का बिंदु है। एनटीएफ में सार्स-सीओवी-2 के साथ-साथ यूके वायरस के लिए वर्तमान राष्ट्रीय उपचार व्यवस्था, जांच रणनीति और निगरानी से संबंधित पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इसमें जोर दिया गया कि चूंकि, वायरस के यूके संस्करण से वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है, इसलिए भारत में इस स्ट्रेन से संक्रमित लोगों की पहचान और इसके प्रसार पर रोकथाम काफी अहम है।

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एनटीएफ ने निष्कर्ष निकाला कि इस स्ट्रेन में परिवर्तन को देखते हुए वर्तमान उपचार व्यवस्था में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा, चूंकि आईसीएमआर ने सार्स-सीओवी-2 के परीक्षण के लिए दो या ज्यादा जीन जांचों की वकालत करती रही है, इसलिए परीक्षण की वर्तमान रणनीति का इस्तेमाल करते हुए संक्रमित लोगों के बचने की संभावना कम ही है। एनटीएफ ने सिफारिश की कि निगरानी की वर्तमान रणनीतियों के अलावा, विशेष रूप से यूके से आ रहे यात्रियों में सार्स-सीओवी-2 के लिए ज्यादा जीनोमिक निगरानी कराना अहम है। इसके अलावा, प्रयोगशाला जांच के एस जीन के सामने आने, पुनः संक्रमण के प्रमाणित मामलों आदि से संबंधित नमूनों में जीनोम सीक्वेंसिंग कराना भी खासा अहम होगा। सभी नमूनों के प्रतिनिधि नमूनों में सार्स-सीओवी-2 की सामान्य जीनोमिक निगरानी जारी रखने और योजनाबद्ध गतिविधियों की आवश्यकता है। एनसीडीसी ने बताया कि भारत सरकार ने यूके में दर्ज सार्स-सीओवी-2 के परिवर्तित रूप की खबरों और इन खबरों पर दूसरे देशों की प्रतिक्रिया पर स्वतः संज्ञान लिया है। हालात की सक्रिय रूप से निगरानी की जा रही है। परिवर्तित वायरस का पता लगाने और रोकथाम के लिए एक रणनीति बनाई गई है।

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बताया गया कि सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के पांच प्रतिशत पॉजिटिव मामलों को डब्ल्यूजीएस जांच के लिए भेजा जाएगा। देश में सार्स-सीओवी-2 के रूप के प्रसार की प्रयोगशाला और महामारी विज्ञान निगरानी के लिए एनसीडीसी, नई दिल्ली के नेतृत्व में एक जीनोमिक सर्विलांग कंसोर्शियम आईएनएसएसीओजी की स्थापना की गई है। इसके अलावा, यूके से लौटने वालों के 50 से ज्यादा नमूनों की प्रयोगशालाओं में सीक्वेंसिंग जारी है। कंसोर्शियम की अन्य प्रयोगशालाएं हैं : राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली; सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान, दिल्ली; सीएसआईआर- सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान केंद्र, हैदराबाद; डीबीटी- जीव विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर; डीबीटी राष्ट्रीय बायोमेडिकल जीनोमिक्स संस्थान, कल्याणी; डीबीटी-इनस्टेम-राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र, बेंगलुरु; राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएएनएस), बेंगलुरु; आईसीएमआर राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे। सार्स-सीओवी-2 वायरस के यूके संस्करण का जल्दी पता लगाने और रोकथाम के लिए अतिरिक्त जीनोमिक निगरानी जारी रखने का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, यह समझना अहम है कि अन्य आरएनए वायरस की तरह ही सार्स-सीओवी-2 में परिवर्तन जारी रहेगा। सामाजिक दूरी, हाथ साफ रखने, मास्क पहनने और उपलब्ध होने पर एक प्रभावी वैक्सीन से परिवर्तित वायरस की भी रोकथाम की जा सकती है।

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