या हुसैन,गम का दूसरा अशरा शुरू, 13 मोहर्रम का जुलूस नहीं उठा

वाराणसी। कोरोना संकट काल में मोहर्रम की परम्पराओं का निर्वहन सादगी से किया जा रहा है। इमाम हुसैन को याद करते हुए उनका गम शिया समुदाय मना रहा है। 2 महीना 8 दिन लगभग 60 दिन के मोहर्रम में पहला अशरा अशूर यानी 10 मोहर्रम को खत्म होता है। उसके बाद मजलिसों का सिलसिला फिर 12 मोहर्रम से शुरू हो जाता है। 
इस सिलसिले से 8 दिन मजलिसे और जुलूस उठते हैं। बुधवार को कोरोना के चलते 13 मोहर्रम का जुलूस जो बड़े इमामबाड़े से अंजुमन अंसार ए हुसैनी अवामी उठाती है वो नहीं उठा। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि सदर इमामबाड़े में मजलिस हुई और इमाम हुसैन के रौज़े पर नज्र हुई, मजलिस को हाजी सैय्यद फरमान हैदर ने खिताब किया, जिसमे शामिल रिजवी, अलमदार हुसैन मोतवल्ली सज्जाद अली आदि ने शिरकत की। 
उन्होंने बताया कि शहर में हो रही मजलिसें भी कोरोना के नियमों का पालन कर हो रही है। इसमें भीख शाह की गली में उर्फ साहब के इमामबाड़े में मजलिस हुई। जिसे मौलाना रिज़वान मारूफी ने खिताब किया और अंजुमन हैदरी ने नौहा ओ मातम किया। चौहट्टा लाल खा में अंजुमन अबिदिया के सेक्रेटरी वजीर हसन के घर में मजलिस हुई जिसे मौलाना कैसर ने खिताब किया।

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