मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद: शक्तिकांत दास
नई दिल्ली (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों- मुद्रास्फीति, धीमी वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम का सामना कर रही है। दास ने कहा कि मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से महंगाई पर लगाम लगाने वाली होना चाहिए। ऐसा होने से ही जुलाई में 7.44 फीसदी के उच्चतम स्तर से महंगाई दर में गिरावट सुचारू रूप से जारी रही। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है।
दास ने कहा कि मूल्य स्थिरता तथा वित्तीय स्थिरता एक-दूसरे के पूरक हैं। आरबीआई ने दोनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने का प्रयास किया है। सब्जियों तथा ईंधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में सालाना आधार पर खुदरा महंगाई दर घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसदी पर आ गई है। डिजिटल भुगतान से मौद्रिक नीति का असर तेजी से और प्रभावी रूप से दिखने लगा है। भारत वैश्विक वृद्धि का नया इंजन बनने के लिए तैयार है। शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है।
इजरायल-हमास संघर्ष पर आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘बेशक जो कुछ भी हो रहा है उससे हम प्रभावित होते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। हमारी आर्थिक बुनियादें मजबूत बनी हुई हैं, हमारे वित्तीय क्षेत्र मजबूत बने हुए हैं। इस अनिश्चित समय में जो मायने रखता है वह यह है कि आपके सूक्ष्म आर्थिक बुनियादी क्षेत्र कितने मजबूत हैं और आपका वित्तीय क्षेत्र कितना मजबूत है। मुझे लगता है कि दोनों चीजों में भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।’’
प्रजेश शंकर/पवन