मैनपुरी में स्कूल छात्रा की स्कूल परिसर में मौत मामले की हाईकोर्ट में अब 11 नवम्बर को सुनवाई

एसआईटी ने कहा, 76 लोगों का डीएनए रिपोर्ट मिल गया, शेष की रिपोर्ट शीघ्र मिलेगी

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी के 16 वर्षीय स्कूली छात्रा की स्कूल परिसर में फांसी लगाने से मौत मामले में अब 11 नवम्बर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।

आज प्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले में बहस के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता जी एस चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि 228 लोगों का सैम्पल एकत्रित कर डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हैदराबाद भेजा गया है। इसमें से 76 लोगों का डीएनए रिपोर्ट प्राप्त हो गया है। कहा गया कि शेष लोगों का डीएनए रिपोर्ट शीघ्र ही मिल जाएगा। बताया गया कि स्पेशल इन्वेशटिगेशन टीम (एसआईटी) इस मामले का हर पहलू से जांच कर रही है। सीसीटीवी फुटेज आदि पर पर जांच चल रही है। कोर्ट से इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए और समय की मांग की गई। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की बेंच ने महेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को उसकी मांग पर 11 नवम्बर तक का समय दिया है।

याची महेन्द्र प्रताप सिंह ने खुद कोर्ट के सामने हाजिर होकर अपना पक्ष रखा और कहा कि पुलिस इस मामले को जान-बूझकर टाल रही है और जांच में देरी कर रही है ताकि साक्ष्य मिट जाय। याची का कहना था कि यह मामला वैसे भी पुराना हो गया है और इसमें और देरी होने से साक्ष्य नहीं मिलेगा। याची का कहना था कि पुलिस इस मामले में लीपा-पोती कर रही है और वास्तविक मुल्जिम को सामने नहीं लाया जा रहा है।

हाईकोर्ट के कहने पर एसआईटी की नयी जांच टीम गठित की गई है और इसमें अनुभवी अधिकारियों को शामिल किया गया है। हाईकोर्ट ने एसआईटी को 6 सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। इस मामले में जांच में लापरवाही पर एएसपी, डिप्टी एसपी व आईओ को सस्पेंड कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले में जांच से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व कोर्ट को भी अवगत कराया जाय। कोर्ट ने कहा था पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों ?

16 सितम्बर 2019 को 16 वर्षीय एक छात्रा अपने जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी। पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है। दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।घटना को लेकर छात्रों ने प्रोटेस्ट किया था। परिवार ने भी कई दिनों तक धरना दिया था। मृतका के पिता ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी ने जांच की गई। 24 अगस्त 2021 को एसआईटी ने केस डायरी हाईकोर्ट में पेश की थी। कोर्ट ने कहा था छात्रा के पिता का बयान दर्ज नहीं किया गया और 5.30 से 6 बजे सुबह हुई घटना की सूचना परिजनों को न देने से संदेह पैदा होता है।

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