मैत्री का मर्यादित स्वरूप है कृष्ण-सुदामा की दोस्ती
भाजपा नेता अरुण कुमार शुक्ल के आवास पर कथा में बोले आचार्य कौशल
संवाददाता
गोंडा। मानव समाज में परस्पर स्नेह, प्रेम वात्सल्य के अनेक उदाहरण हैं, लेकिन श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता जैसा मैत्री व सख्य-भाव अंयत्र दुर्लभ है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों व ग्वाल-बालों समेत अर्जुन व सुदामा के प्रति किए गए आत्मीय व्यवहार मित्रता का मर्यादित स्वरूप एवं समाज के लिए निःस्वार्थ मित्रता का आदर्श है। नगर में अफीम कोठी के निकट भाजपा नेता अरुण कुमार शुक्ल के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शुक्रवार को अयोध्या के सुप्रसिद्ध भागवताचार्य कौशल किशोर मिश्र ने यह विचार व्यक्त किए। कथा प्रवाचक ने कहा कि समाज में धन वेभव व वैचारिक रूप से सामान क्षमता वाले लोगों के मध्य ही मित्रता संभव है। भगवान श्रीकृष्ण ने वाल्यावस्था में गोपी ग्वाल बालो व अर्जुन द्रौपदी व सहपाठी सुदामा के प्रति अपने आत्मीय आचरण से मैत्री भाव का मूर्त स्वरूप दिया। कथा प्रवाचक ने कहा कि कृष्ण व सुदामा ने गुरु संदीपनि के गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त की थी। कृष्ण ने अपने बाल मित्र को वचन दिया था कि वह जीवन में किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में उनका सहयोग ले सकते हैं। द्वारिका में श्री कृष्ण ने अपने मित्र की दीनता पर द्रवित होकर आंसुओं के जल से ही सुदामा के पैर धोया था। यह कथन कवि की कल्पना नहीं, करुणा की पराकाष्ठा है। सच्चा मित्र का भाव निःस्वार्थ होता है। वह मित्र के दुख और सुख में समान रूप से भागीदार होता है। इसके पूर्व कथा प्रवाचक ने भगवान श्रीकृष्ण के रुक्मणि के विवाह प्रसंग में आदर्श दाम्पत्य जीवन की व्याख्या कर श्रद्धालु श्रोताओं को भाव विह्वल कर दिया। आयोजक अरुण कुमार शुक्ल ने श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए शनिवार को दोपहर में पूर्णाहुति के उपरांत आयोजित ब्रह्म भोज में प्रसाद ग्रहण करने का अनुरोध किया। कथा में शांति देवी, माया शुक्ला, जय प्रकाश शुक्ल एडवोकेट, प्रेमादेवी शुक्ला, डा. अमित शुक्ल, डा. आशीष शुक्ल, डा. श्रद्धा शुक्ला, डा. निधि शुक्ला, इं. अभिषेक शुक्ल, श्वेतलाना, राकेश शुक्ल, अखिल, निखिल, उत्तम कुमार शुक्ल, शिव कुमार पाण्डेय एवं शिक्षक नेता राजेश पाण्डेय, ब्लाक प्रमुख पूनम देवी, डॉ. पुरुषार्थ, डॉ. सौम्या आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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