मेरठ : सदर दुर्गाबाड़ी मंदिर में वर्ष 1807 से हो रही दुर्गा पूजा
मेरठ (हि.स.)। नवरात्र में देवी मंदिरों में होने वाली पूजा विशेष होती है। सदर बाजार स्थित दुर्गाबाड़ी मंदिर में लगातार 213 सालों दुर्गा पूजा हो रही है। इस बार 214वीं दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ। जिसमें बंगाली समाज के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
मेरठ में देवी के कई मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इनमें सदर बाजार स्थित बंगाली दुर्गाबाड़ी सोसाइटी मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर में 213 साल से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इस साल 214वीं बार दुर्गा पूजा आयोजित हुई। जिसमें बंगाली समाज के साथ-साथ हजारों स्थानीय लोगों ने भी भाग लिया।
खुद करते हैं सजावट व भोग तैयारदुर्गाबाड़ी मंदिर में होने वाली दुर्गा पूजा विशेष प्रकार की होती है। इसमें बंगाली समाज के लोग खुद जुटते हैं। दुर्गा पूजा के लिए मंदिर की सजावट से लेकर भोग तक की तैयारी सोसाइटी के सदस्य खुद करते हैं। इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक की भागीदारी होती है।
1807 में शुरू हुई दुर्गा पूजादुर्गाबाड़ी मंदिर में होने वाली पूजा के लिए समिति का गठन किया जाता है। इसके लिए चुनाव होता है। मंदिर प्रबंध समिति के सचिव प्रियांक चटर्जी का कहना है कि मेरठ में 1807 में दुर्गा पूजा शुरू हुई थी। प्रत्येक वर्ष दुर्गा की मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है। पूजा के बाद उसे गंग नहर में विसर्जित कर दिया जाता है। कोरोना आपदा के बाद भी लोगों का दुर्गा पूजा को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ। जन्माष्टमी से ही मूर्ति बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है।
नारकुल नाडु विधान से होती है आराधनादुर्गा पूजा में बंगाली समाज के लोग नारकुल नाडु विधान से माता की आराधना शुरू करते हैं। महिलाएं खुद ही लड्डू तैयार करती है और उपवास रखकर मां दुर्गा को भोग लगाती है। धुनुचि नृत्य से महिषासुर मर्दिनी की उपासना की जाती है।
पूरे साल लगा रहता है श्रद्धालुओं का तांतादुर्गाबाड़ी मंदिर की महत्ता इतनी है कि यहां पर पूरे साल भर माता के दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है। मंदिर समिति के संयोजक अमिताभ मुखर्जी का कहना है कि नवरात्र में दुर्गा पूजा विशेष तौर पर होती है। उस समय हजारों लोग देवी के दर्शन के लिए आते हैं।