मेनका गांधी की याचिका पर सीबीआई को नोटिस
– सांसद निधि से एक ट्रस्ट को 50 लाख रुपये देने का मामला
नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद मेनका गांधी के खिलाफ सीबीआई जांच कराने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है। ट्रायल कोर्ट ने सांसद निधि से एक ट्रस्ट को 50 लाख रुपये देने के मामले में यह आदेश दिया है। जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने मेनका गांधी की याचिका पर सीबीआई को नोटिस भेजने का आदेश जारी किया है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछली 4 फरवरी को सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करके सीबीआई को आगे की जांच करने का आदेश दिया था। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि मौजूद दस्तावेज से साजिश का पता चलता है। सुनवाई के दौरान मेनका गांधी की ओऱ से वकील तनवीर अहमद मीर और प्रतीक सोम ने कहा कि एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की ओर से टारगेट करके मेनका गांधी के खिलाफ झूठा केस दायर कराया गया है। मेनका गांधी की ओर से कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई को आगे जांच करने का आदेश देकर गलती की है क्योंकि इस मामले में खुद सीबीआई ने कोई गड़बड़ी नहीं पाई है। सीबीआई ने 2010 और 2015 में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने जांच का आदेश देते समय यह नहीं बताया है कि जांच की जरूरत क्या है।
दरअसल 2006 में सीबीआई ने मेनका गांधी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उनके अलावा दो और लोगों को आरोपित बनाया गया था। आरोप है कि मेनका गांधी ने मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के पूर्व सचिव डॉ. एफयू सिद्दीकी के साथ पीलीभीत में साजिशन गांधी रूरल वेलफेयर ट्रस्ट के पूर्व मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. विजय शर्मा को पचास लाख रुपये स्वीकृत किए थे। सीबीआई ने ये भी आरोप लगाया था कि ट्रस्ट को पीलीभीत के तत्कालीन कलेक्टर ने दो एंबुलेंस खरीदने के लिए करीब ग्यारह लाख रुपये मेनका गांधी की सांसद निधि से दिए थे। इस पैसे से ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी रमाकांत रामपाल ने दो जीप खरीदी। उन जीपों को रामपाल सीएमओ से सत्यापित भी नहीं करा पाए, क्योंकि जिस मॉडल के लिए पैसे जारी किए गए थे, उससे काफी छोटे मॉडल की गाड़ियां खरीदी गई थीं। एफआईआर में ये भी कहा गया था कि उन गाड़ियों का इस्तेमाल मैनेजिंग ट्रस्टी व्यक्तिगत रूप से करते थे।