मीडिया : साहस भरा 2022, उम्मीदों भरा 2023

प्रो. संजय द्विवेदी

साल 2022 में हम सभी के मन में एक सवाल था कि कोरोना के बाद की पत्रकारिता कैसी होगी? असल में इस सवाल का जवाब कोरोना काल में हुई पत्रकारिता में ही छिपा हुआ था। कोरोना काल में प्रसारण के तरीके बदल गए। काम करने का अंदाज बदल गया। यहां तक कि खबरों को लेकर पत्रकारों और जनता का नजरिया भी बदल गया। वर्ष 2020 की शुरुआत में ही ये लगने लगा था कि हमारा जीवन कम से कम अगले कुछ वर्षों तक सामान्य नहीं रहने वाला और हमें जिंदगी जीने का नया ढंग सीखना होगा। Life के इस New Normal के लिए जरूरी था कि इस वायरस के बारे में, उसके चरित्र के बारे में, उसके संभावित इलाज के बारे में, जितनी संभव हो जानकारी प्राप्त की जाए। ऐसे में ये अत्यंत आवश्यक था कि लोगों को जरूरी सूचना दी जाए, उन्हें सजग किया जाए, जिससे वे इस वायरस के विरुद्ध बचाव की एक रणनीति अपना सकें। 21वीं सदी के इस सबसे विषम समय में जन जागरण का यह दायित्व मीडिया के कंधों पर था और मेरे विचार में मीडिया ने इस दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वाह भी किया है।

कोविड काल में मैं मीडिया को Means of Empowerment for Development through Informed Action यानी ‘विकास के लिए सुविचारित रणनीति के माध्यम’ के रूप में परिभाषित करना चाहता हूं। वर्तमान संदर्भ में मैं अंग्रेजी के Media शब्द में D वर्ण के मायने Disaster Management या आपदा प्रबंधन अथवा Dealing with Pandemic यानी संक्रमण से जूझना, मानता हूं। मीडिया जन सामान्य के सशक्तिकरण का माध्यम है और वर्तमान आपदा की स्थिति में उसने ये बात साबित भी की है। कोरोना वायरस और महामारी से संबंधित खबरों को अखबार में जितना स्थान दिया जाता है, उतना तो युद्ध के समय में युद्ध की रिपोर्टिंग को भी नहीं दिया जाता। लोगों की जिज्ञासाओं को पूरा करने के लिए अखबारों और वेबसाइटों ने नए-नए उपाय किए हैं। इस महामारी के विषय में खबरें और विश्लेषण आज भी एक अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आज भी मास्क पहनने, हाथ धोने, भीड़ से बचने, सामाजिक दूरी बनाए रखने को लेकर जागरूकता अभियान चल रहे हैं, क्योंकि इस संक्रमण से बचने के यही कुछ जरूरी उपाय हैं।

‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ (सीआईआई) और ‘बीसीजी’ की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार-मीडिया और मनोरंजन उद्योग को कोविड-19 महामारी के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, यह अब महामारी के पूर्व स्तर पर आ गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का कारोबार वर्ष 2022 में 27 से 29 अरब डॉलर के बीच होने का अनुमान है। साथ ही उम्मीद जताई गई है कि वर्ष 2030 तक यह उद्योग बढ़कर 55 से 65 अरब डॉलर का हो जाएगा। ‘भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का भविष्य’ नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग के मजबूत विकास के साथ यह वर्ष 2030 तक 55 से 65 अरब डॉलर तक बढ़ने की ओर अग्रसर है। ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) और गेमिंग मंचों के बढ़ते चलन के साथ इसके 65 से 70 अरब डॉलर तक पहुंचने की भी संभावना है। वहीं, ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म ‘पीडब्ल्यूसी’ (PwC) ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है कि भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री वर्ष 2026 तक 4.30 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी। इसके 8.8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बाजार में इंटरनेट और मोबाइल उपकरणों की गहरी पैठ के चलते डिजिटल मीडिया और विज्ञापन क्षेत्र में वृद्धि से इंडस्ट्री के कारोबार में तेजी आएगी।

इसी के साथ पारंपरिक मीडिया में भी स्थिर वृद्धि जारी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू टीवी एडवरटाइजमेंट इंडस्ट्री वर्ष 2026 तक 43,000 करोड़ रुपये की हो जाएगी। यह अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत को विश्व का पांचवां सबसे बड़ा टीवी एडवरटाइजमेंट बाजार बना देगी। पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट ‘ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया आउटलुक 2022-2026’ के अनुसार भारत के ओटीटी वीडियो सर्विस सेक्टर में अगले चार वर्षों के दौरान 21,031 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। इसमें से 19,973 करोड़ रुपये का कारोबार सब्सक्रिप्शन आधारित सेवाओं और 1,058 करोड़ रुपये का लेनदेन किराये या मांग आधारित वीडियो वाले सेक्टर में होगा। रिपोर्ट में कहा गया कि टीवी एडवरटाइजमेंट सेक्टर वर्ष 2022 में 35,270 करोड़ रुपये से बढ़कर 2026 में 43,568 करोड़ रुपये हो जाएगा, जो 23.52 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगा। इसके अलावा भारत का इंटरनेट एडवरटाइजमेंट मार्केट भी 12.1 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर वर्ष 2026 तक 28,234 करोड़ रुपये तक पहुंचने के लिए तैयार है। वहीं, म्यूजिक, रेडियो और पॉडकास्ट सेक्टर वर्ष 2021 में 18 फीसदी बढ़कर 7,216 करोड़ रुपये का हो गया और यह वर्ष 2026 तक 9.8 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर 11,536 करोड़ रुपये का हो सकता है।

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, जो शासन-प्रशासन तथा जनता के बीच द्विपक्षीय संवाद को सुगम बनाता है और दोनों के बीच पुल का काम करता है। महामारी के इस दौर में मीडिया की यह भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। संक्रमण के विरुद्ध इस अभियान में, केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों ने अपने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। रोगियों की बढ़ती संख्या, संक्रमण के  रुझान, उसे रोकने की नई रणनीति, उपचार पद्धति और प्रोटोकॉल, दवाओं, अस्पतालों, बिस्तरों, PPE किट्स की उपलब्धता, वैक्सीन की दिशा में हुई प्रगति, दुर्बल वर्गों की सहायता के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही जनता तक पहुंच रही है, जिससे वे इस संक्रमण से उबरने में सक्षम बन सके हैं। यदि मीडिया पुल की यह भूमिका नहीं निभाता, तो सरकार और जनता के बीच संवाद और सूचनाओं का आदान प्रदान संभव ही नही हो पाता। इस अवधि में मीडिया का एक और महत्वपूर्ण कार्य यह रहा है कि उसने महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को रिकॉर्ड किया है। मेरा मानना है कि मानव इतिहास में महामारी के इस दौर का प्रामाणिक इतिहास, भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा। महामारी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उसके प्रबंधन पर तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक दस्तावेज़ मीडिया में उपलब्ध हैं, जो सरकार के लिए नीतियां बनाते वक्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

भविष्य में इस महामारी से संबद्ध प्रासंगिक मुद्दों को उठाने के लिए, विश्लेषणात्मक लेखों सहित Media Reports ही प्रमुख संदर्भ स्रोत होंगे। आज जब कोरोना संक्रमण दुनिया के कई देशों में एक बार फिर अपना कहर बरपा रहा है और डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ योद्धाओं की भांति मैदान में डटे हुए हैं, तो पत्रकार अपनी कलम और अपनी आवाज के जरिए लोगों को जागरूक करने का, उन तक जानकारी पहुंचने का काम करके ये साबित कर रहे हैं कि मीडिया को यूं ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं कहा जाता। मैं एक बार फिर, इस महामारी से निपटने के लिए लोगों को सूचित करने, शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने के अपने दायित्व का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने के लिए और इस संकट के दौरान एक भरोसेमंद साथी के रूप में हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए, मीडिया और मीडियाकर्मियों का अभिनंदन करता हूं। आइए, हम सभी उनके योगदान का सम्मान करें, और उनकी हौसलाअफजाई करें।

(लेखक ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ के महानिदेशक हैं।)

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