मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत शुरू, धागा पाने के लिए मंदिर में जुटी भीड़

वाराणसी(हि.स.)। अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार से मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत शुरू हुआ। मंदिर के महंत शंकरपुरी ने 17 गांठ वाले धागे का सविधि पूजन अर्चन के बाद सुबह से ही व्रती महिलाओं और पुरूषों में धागा वितरित किया। मंदिर में धागा लेने के लिये श्रद्धालु अलसुबह घने कोहरे के बीच इस धागे को लेने के लिए मंदिर में पहुंचने लगे। महंत के हाथों मिले धागे को महिला बांये व पुरुष दाएं हाथ में धारण करते हैं। कठिन महाव्रत में व्रती एक समय ही बिना नमक के फलहार करते है और जमीन पर सोते है।

17 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान का उद्यापन 19 दिसंबर को होगा। व्रत के अंतिम दिन मंदिर को धान के नये बालियों से सजाया जायेगा। फिर इसे प्रसाद के रूप में अगले दिन प्रातःकाल से आम भक्तों में वितरण किया जायेगा। मंदिर के महंत शंकरपुरी के अनुसार यह महाव्रत अनादिकाल से होता आ रहा है। जब काशी के राजा देवोदास को अकाल की जानकारी हुई कि किसी के पास अन्न नहीं बचा है । तो राज परिवार ने सत्रह दिनों तक मां का कठोर व्रत किया। जिस पर मां अन्नपूर्णा प्रसन्न हुईं और काशी में अकाल समाप्त हुआ। इसी के बाद से इस व्रत की शुरूआत हुई। मंदिर के प्रबंधक के अनुसार पूर्वांचल के किसान अपने फसल की पहली धान की बाली मां अन्नपूर्णा को अर्पित करते है और उसी बाली को प्रसाद के रूप में पूरे धान में मिलाते हैं। किसानों का मानना है कि इससे फसल में बढ़ोतरी होती है।

श्रीधर/बृजनंदन

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