भारत ने बढ़ाई चीन-नेपाल-भूटान सीमाओं पर चौकसी
-अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक 27 जगहों पर देखी गई असामान्य हलचल
-उत्तराखंड, अरुणाचल, हिमाचल, लद्दाख और सिक्किम बॉर्डर पर हाई अलर्ट
-चौथे दिन लगातार भारत-चीन के बीच ब्रिगेड कमांडर लेवल की बातचीत
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ लगातार नाकाम किये जाने के बाद अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक भारत-चीन सीमा पर 27 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है, जहां असामान्य हलचल देखी गई है। चीनी सेना आने वाले दिनों में इन जगहों से दुस्साहस शुरू कर सकती है। इस बीच गृह मंत्रालय के निर्देश पर भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं पर सुरक्षाबलों को सतर्क कर दिया गया है। भारतीय सेना ने अतिरिक्त कंपनियों को चीन की उत्तराखंड सीमा पर भेजा है। कल इस क्षेत्र में चीनी सेना की अभूतपूर्व आवाजाही देखी गई थी। इससे पहले भी कई बार लद्दाख सीमा के अलावा अरुणाचल और उत्तराखंड में चीन की हलचल देखी गई, इसलिए भारत पहले से ज्यादा सतर्क है। ताजा विवाद को निपटाने के लिए बुधवार को चौथे दिन लगातार भारत-चीन के बीच ब्रिगेड कमांडर लेवल की बातचीत हो रही है।
लद्दाख में जारी तनाव के बीच अन्य सीमाओं पर भी हलचल बढ़ने पर देश के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व ने एलएसी पर कार्रवाई के लिए भविष्य की रणनीति और पूर्वी लद्दाख के ताजा हालातों पर चर्चा की है। मंगलवार को गृह मंत्रालय में सीमा प्रबंधन के सचिव की आईटीबीपी और एसएसबी के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। बैठक में चीन, नेपाल, भूटान सहित भारत से लगी अन्य सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई। इसके अलावा कल ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत, सेना प्रमुख एमएम नरवाने और महानिदेशक (सैन्य ऑपरेशन) ने भी बैठक करके सुरक्षा हालातों की समीक्षा करके आगे की रणनीति तय की। सेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एलएसी के साथ मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी। इन शीर्ष स्तरीय बैठकों के बाद गृह मंत्रालय ने भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान पर सुरक्षाबलों को सतर्क रहने और निगरानी बढ़ाने को कहा है।
भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर हालात सामान्य न होने और चीन की चालबाजी का जवाब देने के लिए सेना हर मोर्चे पर सतर्क है। इसके तहत उत्तराखंड, अरुणाचल, हिमाचल, लद्दाख और सिक्किम बॉर्डर पर आईटीबीपी की निगरानी को और मजबूत किया गया है।उत्तराखंड के लिपुलेख पास पर भी सतर्कता बढ़ाई गई है जहां भारत-चीन और नेपाल की सीमाएं मिलती हैं। यहां पर एसएसबी की 30 कंपनियों यानी 3000 जवानों को भेजा गया है। इससे पहले इन कंपनियों की तैनाती जम्मू-कश्मीर में थी जिन्हें पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय के निर्देश पर वापस बुला लिया गया था। भारत-नेपाल-चीन बॉर्डर पर अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की जा रही है। भारतीय सेना ने भी अतिरिक्त कंपनियों को चीन की उत्तराखंड सीमा पर भेज दिया है। कल इस क्षेत्र में चीनी सेना की अभूतपूर्व आवाजाही देखी गई थी। इसके अलावा आईटीबीपी और एसएसबी को अलर्ट पर रखा गया है। लद्दाख सीमा पर भी भारत ने अपने जवानों की संख्या बढ़ाई है।साथ ही एलएसी से सटे क्षेत्र में टैंक की तैनाती भी की गई है। दोनों देशों के टैंक आमने-सामने और फायरिंग रेंज में मौजूद हैं। लद्दाख सीमा पर चीन ने बीते तीन दिनों में तीन चोटियों पर घुसपैठ करने की कोशिश की है। इस दौरान हाथापाई की स्थिति भी आई लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने चीन की हर कोशिश को नाकाम कर दिया। 29/30 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ करने की कोशिश करने के बाद ही मौजूदा तनाव बढ़ा है। भारतीय सेना ने ब्लैक टॉप पोस्ट से न सिर्फ चीनी सैनिकों को खदेड़ा बल्कि उस इलाके में लगे चीन के कैमरों और सर्विलांस उपकरणों को भी हटा दिया है। इसके बाद 31 अगस्त की रात को दूसरी बार चीनी सैनिकों ने एक बार फिर ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन भारतीय सेना को देखकर उलटे पांव लौट गये।
ब्लैक टॉप भारत के इलाके में है लेकिन इन पहाड़ियों पर कभी भी सेना की तैनाती नहीं हुई है। 2014 में भी चीनी सेना ने ब्लैक टॉप पर कुछ टेंट लगाए थे लेकिन भारत के विरोध के बाद करीब 2 महीने के बाद चीनी सेना वहां से वापस चली गई थी। ब्लैक टॉप पर चीन की कई वर्षों से नजर इसलिए है क्योंकि इस पहाड़ी से भारत के इलाके पर काफी दूर-दूर तक निगरानी की जा सकती है।अब भारतीय सेना ने इस इलाके में अपने जवानों और सैनिकों को तैनात कर दिया है।