भारतीय सिनेमा और ऑस्कर सम्मान

हृदयनारायण दीक्षित

गीत और संगीत मनुष्य मन को रसपूर्ण बनाते हैं। लेकिन दोनों में एक आधारभूत अंतर भी है। गीत का अर्थ होता है। अर्थ बुद्धि के माध्यम से मूल शब्दों के भाव को प्रकट करता है। गीत भी ध्वनि है। लेकिन उसका अर्थ बौद्धिक कार्यवाही से निकलता है। संगीत में ध्वनियों का प्रयोग होता है। प्राचीन भारतीय संगीत परंपरा में ध्वनि के अल्पतम अंश को भी सरस ढंग से प्रस्तुत किया जाता रहा है। षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद शास्त्रीय संगीत के आधारभूत सुर हैं। संक्षेप में इन्हें सा, रे ग, म, प, ध और नि कहते हैं। शास्त्रीय संगीत परंपरा में राग हैं। प्रत्येक राग को सम्बंधित रागिनियाँ हैं। प्रत्येक राग में गाने का सुनिश्चित समय भी है।

भारतीय नृत्य परंपरा प्राचीन है। नृत्य कला में नर्तक अपने अंतर्जगत के भावों को देह पर प्रकट करता है। नृत्य के चरम पर नर्तक स्वयं नहीं बचता। वह नृत्य में खो जाता है। नर्तक नृत्य बन जाता है। भारतीय सिनेमा में नृत्य कला के उत्कृष्ट प्रयोग हुए हैं। ‘आजा नच ले‘ नाम से बनी फिल्म में माधुरी दीक्षित का नृत्य मोहक के साथ मादक भी है। ऐसे ही हाल ही में एसएस राजामौली की बहुभाषीय फिल्म ‘आरआरआर‘ के लोकप्रिय गाने ‘नाटू नाटू‘ की अंतरराष्ट्रीय चर्चा है।

मूल तेलुगू में ‘नाटू नाटू‘ का वास्तविक अर्थ हिन्दी में नाचो-नाचो है। ऑस्कर फिल्मों के लिए दिया जाने वाला महत्वपूर्ण पुरस्कार है। यह 1929 में पहली बार दिया गया था। ऑस्कर में नामांकित होना और अवार्ड पाना आसान नहीं है। हमारे देश के प्रतिष्ठित फिल्मकार अपनी फिल्में ऑस्कर के लिए ले जाते रहे हैं। मदर इंडिया, लगान और सलाम बॉम्बे जैसी फिल्में ऑस्कर में नामांकित हुईं थीं। ऑस्कर के लिए पहले फिल्में नामांकित होती हैं। फिर फिल्म निर्माता और टीम मिलकर चयन समिति के सदस्यों को अपनी फिल्में दिखाते हैं। राजामौली और उनके सहयोगियों ने इस काम को सफलतापूर्वक किया है। ‘नाटू नाटू‘ गीत संगीतकार एमएम किरवानी की आकर्षक धुन है। इसे ऑस्कर पुरस्कार मिलने से भारतवासी बहुत प्रसन्न हैं।

इसी तरह भारतीय डॉक्युमेंट्री लघु फिल्म ‘दि एलिफैंट व्हिस्पर्स‘ को भी ऑस्कर मिला है। यह दक्षिण भारत के एक गाँव के दंपति और उनके गोद लिए हाथी के बच्चे पर बनी सुंदर और हृदयस्पर्शी लघु फिल्म है। दोनों को मिले पुरस्कार से समूचा भारत प्रसन्न है। 2 ऑस्कर भारतीय सिने जगत के लिए उल्लेखनीय सफलता है।

भारतीय सिनेमा ने अभिनय, संवाद, कथानक, गीत और संगीत के साथ गुणवत्ता के सभी मानकों पर स्वयं को सही सिद्ध किया है। भारतीय सिनेमा कथानक, संवाद और सोद्देश्य होने के मामले में पहले से ही प्रतिष्ठित रहा है। अब उसमें आधुनिक तकनीकी और सिनेमा के सभी घटकों का सफलतापूर्वक प्रयोग हो रहा है। यह भारत के लिए गौरव की बात है।

भारतीय दर्शन के अनुसार प्रकृति की शक्तियां भी नाचती हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर नाचते हुए परिक्रमा करती है। ऋग्वेद में सोम देवता के लिए कहा गया है कि सोमरस नाचते हुए कलश में गिरता है। ऋग्वेद के अनुसार सृष्टि सृजन के समय देवता भी नाच रहे थे। उनके नृत्य से उड़ी धूल से आकाश भी आच्छादित हो गया था। नृत्य सबको पुलकित करता है।

हॉलीवुड की फिल्में नृत्य प्रधान नहीं होतीं। लेकिन भारतीय सिनेमा अपने जन्मकाल से ही नृत्य प्रधान रहा है। इस नृत्य में लोक के साथ शास्त्रीयता भी संगति में रही है। अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया गीत ‘हम नाचे बिन घुंघरू के‘ गांव-गांव लोकप्रिय था और है। ‘तीसरी कसम‘ शैलेन्द्र निर्मित फिल्म थी। यह ‘मारे गए गुलफाम‘ नाम की कथा पर आधारित थी। इसके गीत भी गांव-गांव में लोकप्रिय हैं। दक्षिण भारत की लोकप्रिय अभिनेत्री थी सिल्क स्मिता।

दो ऑस्कर का मिलना संस्कृति प्रेमियों के लिए भी उत्साहवर्धक है। मुंबई फिल्म निर्माण का केन्द्र रहा है। दक्षिण भारत में भी तमिल, तेलुगु, कन्नड़ व मलयालम भाषी भी सुरुचिपूर्ण फिल्में बनाते रहे हैं। पश्चिम बंगाल के क्षेत्र में सत्यजित रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, ऋषिकेश मुखर्जी आदि प्रतिष्ठित रहे हैं। मुंबई में राज कपूर, महबूब खान, वी० शांताराम, गुरुदत्त, यश चोपड़ा, गोविन्द निहलानी आदि निर्माता निर्देशकों ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया है। राजश्री प्रोडक्शन ने पारिवारिक मर्यादाओं को पुष्ट करने वाली फिल्में दी हैं। भारतीय सिनेमा ने गीत संगीत कथानक व अभिनय के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। कला की दृष्टि से भी भारतीय सिनेमा ने ‘उत्सव‘ व ‘लव स्टोरी 1942‘ जैसी यादगार फिल्में दीं। सिनेमा निर्देशक का माध्यम है। गीतकार, संगीतकार, संवाद लेखक और अभिनेता की भी अपनी जगह है। लेकिन निर्देशक की सूझबूझ और सांस्कृतिक दृष्टि का विशेष महत्त्व है।

ऑस्कर की सूचना से नई प्रेरणा मिलेगी। आशा की जानी चाहिए कि उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक सिने जगत से जुड़े सभी महानुभाव भारत की संस्कृति को संवर्धित करने का लक्ष्य लेकर सोद्देश्य सृजन करेंगे। पुरस्कार प्राप्त दोनों फिल्मों के निर्देशकों व उनकी सहयोगी टीम को हार्दिक शुभकामनाएं।

(लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं।)

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