ब्राह्मण भारत के राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा प्रतीक: डॉ. नीलकंठ तिवारी
-वर्तमान परिस्थिति में ब्राह्मणों की भूमिका पर आयोजित वेबिनार में बोले धर्मार्थ कार्य मंत्री
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति और धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने गुरुवार को यहां कहा कि ब्राह्मण भारत के राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा प्रतीक है। उन्होंने कहा कि तमाम विषम परिस्थितियों में भी ब्राह्मणों ने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा की।
धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी आज ‘वर्तमान परिस्थिति में ब्राह्मणों की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। डॉ. तिवारी ने कहा कि कुछ दलों के नेता यह कहते हैं कि भारत में एकता का बीजारोपण अंग्रेजों ने किया, जबकि सत्यता यह है कि भारत में राष्ट्र की अवधारणा की परिकल्पना ब्राह्मणों ने ही की थी। इसके लिए उन्होंने आद्य शंकराचार्य से लेकर रामानुजाचार्य और रामानंदाचार्य आदर्शों का उल्लेख भी किया।
डॉ. तिवारी ने इस दौरान संत रविदास, कबीर, गोस्वामी तुलसीदास और बाल गंगाधर तिलक के योगदान की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब विदेशी आक्रांता भारतीय संस्कृति को मिटाने की कोशिश में थे, उस समय गोस्वामी तुलसीदास ने पूरे देश में राम को प्रतिष्थापित कर यह संदेश दिया कि भारत के वास्तविक राजा रामचंद्र जी ही हैं। इसके लिए उन्होंने घर-घर हनुमान चालीसा का वाचन और गांव-गांव रामलीला का मंचन कराया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद के जागरण के लिए ही बाल गंगाधर तिलक ने जेल के अंदर रहकर श्रीमद्भगवद्गीता पर भाष्य लिखा और घर-घर भगवान गणेश को स्थापित करवाया। डा0 तिवारी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भौतिकवाद के अनुकरण में आज लोग अपनी सनातन सांस्कृतिक परंपराओं को छोड़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग शिखा कटवा रहे हैं, यज्ञोपवीत धारण करना छोड़ रहे हैं और अब माथे पर चंदन लगाने से भी परहेज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन परंपराओं के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। इसलिए इन्हें हमें शाश्वत रखना होगा।
वेबिनार को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ब्राह्मणों ने अपनी कोख से विश्व के प्रचीनतम वांगमय को पैदा किया। आचार्य शंकर, महाराज मनु और चाणक्य की परंपरा को संरक्षित करने के लिए उन्होंने अखिल भारतीय विद्वत ब्राह्मण परिषद की स्थापना पर बल दिया।
इससे पहले वेबिनार को जगद्गुरु रामानुजाचार्य पुण्डरीक शास्त्री, प्रो. अरविंद जोशी, प्रो डीपी तिवारी, डॉ. राजेश तिवारी, भारती मिश्रा, उमा तिवारी समेत तमाम विद्वानों ने भी संबोधित किया। वेबिनार से देश के कई विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी जुड़े रहे। कार्यक्रम का संचालन वेबिनार के संयोजक पंडित प्रमोद मिश्र ने किया।