बिहार सरकार की सिफारिश पर नहीं हो सकती CBI जांच
राज्य डेस्क
पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की है. लेकिन कानून के जानकारों का मानना है कि इस सिफारिश पर सीबीआई जांच नहीं हो सकती. वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता का कहना है कि आमतौर पर सीबीआई जांच की मांग कई स्थितियों में की जा सकती है. लेकिन इसकी सिफारिश किए जाने की प्रक्रिया तय है. उनका कहना था कि जिस राज्य में घटना हुई है और वह मामला जिस राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है. उस मामले की सीधे तौर पर जांच उसी राज्य की पुलिस कर सकती है. रही बात सीबीआई जांच की तो बिहार सरकार ने बेशक सीबीआई जांच की संस्तुति की की है, लेकिन यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.
उन्होंने कहा कि वही राज्य सिफारिश कर सकता है जहां घटना हुई हो. संवैधानिक तौर पर कोई राज्य सीबीआई जांच के लिए जब सिफारिश करता है तो इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. चूंकि यह मामला महाराष्ट्र में घटित हुआ है, लिहाजा इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की स्वीकृति सबसे जरूरी होगी, तभी केंद्र सीबीआई को इसकी जांच के लिए मुकर्रर कर सकता है, अन्यथा नहीं. कहने का मतलब यह है कि बिहार सरकार बेशक सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है लेकिन यह मामला तभी आगे बढ़ेगा जबकि महाराष्ट्र रजामंद हो. अन्यथा नहीं. उनका तो यह भी कहना था कि संवैधानिक तौर पर बिहार सरकार को मुंबई में हुई इस घटना की एफआईआर दर्ज करने का भी अधिकार नहीं बनता, क्योंकि इससे संवैधानिक अराजकता की स्थिति पैदा होती है. बेशक उसमें बेहतर होता है कि बिहार सरकार महाराष्ट्र सरकार से अपना कंसर्न दर्ज कराए और तेजी से इसकी जांच की मांग करे.
ऐसे में सुशांत के परिजनों के सामने सीबीआई जांच की मांग करने का क्या रास्ता है? गुप्ता का कहना है कि यदि उनके परिजनों को यह महसूस हो रहा है कि महाराष्ट्र सरकार से उन्हें न्याय मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा और राज्य सरकार मामले में लीपापोती कर रही है, तो वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाकर सीबीआई जांच की मांग कर सकते हैं. ऐसा पहले होता भी रहा है.