बिहार विधानसभा चुनाव : चर्चा में है देश में सबसे पहले बूथ लूटने वाला मटिहानी क्षेत्र
बेगूसराय। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी इन दिनों बढ़ी हुई है। विधायक बनने की उम्मीद पाले टिकट के दावेदार नेता क्षेत्र से लेकर आलाकमान के दरबार तक अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। ऐसे में जिले के चर्चित विधानसभा क्षेत्र के रूप में शुमार गंगा के दोनों ओर फैले मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में भी राजनीतिक सरगर्मी गंगा की तरह उफान पर है। यह वही क्षेत्र है जहां देश में सबसे पहले बूथ लूट की घटना हुई थी। 1957 में दूसरे आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार सरयुग प्रसाद सिंह और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार चंद्रशेखर सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था।
रचियाही कचहरी बूथ पर रचियाही, आकाशपुर, राजापुर और मचहा के लोग मतदान कर रहे थे। इसी बीच लाठी और हथियार से लैस लोगों ने मतदाताओं को रास्ते में मतदान केंद्र पर जाने से रोक दिया। मतदान केंद्र पर मौजूद मतदाताओं को भगा दिया गया था। इसके बाद एक पक्ष के समर्थक ने मतदान केंद्र पर कब्जा कर जमकर वोटिंग की और किसी अन्य को वोट गिराने नहीं दिया। इसकी चर्चा देशभर में हुई थी और आज भी जब चुनाव का समय आता है तो इसकी चर्चा जरूर होती है। यादव और भूमिहार बहुल मटिहानी में मुसलमान वोटरों की संख्या भी अच्छी-खासी है तथा अब तक जीत-हार में उनकी बड़ी भूमिका रही है।
कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के इस गढ़ में सबसे पहली सेंध 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने लगाई थी। उन्होंने लगातार तीन बार विधायक रह चुके भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कद्दावर नेता राजेंद्र राजन को 27313 वोट से पराजित कर दिया था। अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से निर्दलीय प्रत्याशी तथा 2010 में बोगो सिंह ने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा फिर से कांग्रेस के अभय कुमार सिंह को हराया। 2015 में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और भाजपा के सर्वेश कुमार को हरा दिया।
इस बार भी यह सीट एनडीए से जदयू के खाते में जाएगी तथा बोगो सिंह ही प्रत्याशी होंगे, यह बात जदयू के नेता ही नहीं एनडीए के तमाम दलों के नेता स्वीकार रहे हैं। दबंग छवि और सालों भर हमेशा क्षेत्र में घूमते रहने के कारण कोई अन्य प्रत्याशी इनके सामने टिकने को तैयार नहीं हैं। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले कारु सिंह भी दावेदारी कर रहे हैं तथा भाजपा के भी आधे दर्जन से अधिक भूमिहार प्रत्याशी इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए परेशान हैं। लेकिन सीटिंग सीट रहने के कारण यहां से जदयू ही चुनाव लड़ेगी। महागठबंधन में कांग्रेस से कई बार चुनाव लड़ चुके अभय कुमार सिंह सार्जन, एनएसयूआई के निशांत सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता एवं कारोबारी राजकुमार सिंह टिकट लेने की दौड़ में हैंं।
अगर कांग्रेस के हिस्से में यह सीट जाती है तो आलाकमान को यह फैसला लेना मुश्किल होगा कि तीनों में से किसे टिकट दिया जाए। समीकरण के तहत राजद इस सीट पर दावा ठोक रही है और राजद के हिस्से में यह सीट जाती है तो त्रिभुवन कुमार पिंटू सबसे बड़े दावेदार हैं तथा आलाकमान से मिले आश्वासन के आधार पर लंबे समय से जनता के सुख-दुख में शामिल हो रहे हैं। जाप के पप्पू यादव भी यहां से भूमिहार प्रत्याशी को मैदान में उतारने की घोषणा कर चुके हैं तथा स्थानीय मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे दिलीप सिंह चुनाव लड़ेंगे। दल के अलावा आधे दर्जन से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में उतरने के लिए तैयार बैठे हैं। फिलहाल टिकट पाने की उम्मीद में नेताओं की जोर आजमाइश जारी है।