बिजली अभियंता बोले, कारपोरेशन प्रबंधन के कारण उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रही राहत
लखनऊ (हि.स.)। उप्र विद्युत अभियंता संघ ने बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए एक मार्च से लागू एकमुश्त समाधान योजना को सफल बनाने में संकल्पित अभियन्ताओं की तकनीकी एवं व्यवहारिक दिक्कतों को दूर न करने वाले पावर कारपोरेशन के अदूरदर्शी उच्च प्रबन्धन पर ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।
बुधवार को प्रदेश भर में विद्युत अभियन्ताओं की प्रत्येक जिला मुख्यालय, परियोजनाओं पर सम्पन्न बैठकों में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर यह मांग की गयी कि वर्तमान अदूरदर्शी एवं गैर तकनीकी ऊर्जा निगम प्रबन्धन को तत्काल हटाया जाये।
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. वीपी सिंह एवं महासचिव इं. प्रभात सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के हित में एक मार्च से 15 मार्च तक के लिए ओटीएस योजना घोषित की गयी है, लेकिन नौ दिन पश्चात् भी सम्बन्धित एम पावर पोर्टल कार्य नहीं कर रहा है। इसमें योजना के तमाम तकनीकी आंकड़ों को दर्ज करने की व्यवस्था नहीं की गयी है, जिससे उपभोक्ताओं के रजिस्ट्रेशन कराने एवं बिल भुगतान में अत्यन्त कठिनाई हो रही है। अधिकतर समय तक सर्वर डाउन रहता है, जबकि अभियन्ताओं द्वारा प्रेरित किये गये उपभोक्ता काफी समय तक लाइन में लगे रहने के पश्चात् विभाग को कोसते हुए वापस चले जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा निगमों में एप-पोर्टल-आईटी के नाम पर तथा ईआरपी के नाम पर बड़ा घोटाला किया जा रहा है। ईआरपी का जो सॉफ्टवेयर 30-40 करोड़ में मिल जाता है वही सॉफ्टवेयर पावर कारपोरेशन में लगभग 250 करोड़ में खरीदा गया है तथा इसके अतिरिक्त ट्रांसमिशन एवं उत्पादन निगम में अलग-अलग दरों पर सैकड़ों करोड़ रुपये में ये सॉफ्टवेयर खरीदे गये हैं।
इस प्रकार ऊर्जा निगमों में ईआरपी के नाम पर बड़े घोटाले को जन्म दिया गया है। इस ईआरपी सॉफ्टवेयर के अतिरिक्त समानान्तर में भी तमाम एप-पोर्टल-सॉफ्टवेयर खरीदें गये हैं या प्रक्रियाधीन है जबकि ईआरपी आने के बाद इनका कोई उपयोग नहीं है। अतः एक ही कार्य के लिए दो बार धनराशि खर्च किया जाना कहां तक उचित है। सरकार को इसका संज्ञान लेकर वित्तीय अनियमितता करने वाले प्रबन्धन पर कार्यवाही करनी चाहिए।