बाबा विश्वनाथ के गौने में उमड़ी शिवभक्तों की भीड़, उड़ा जमीन से आसमान तक गुलाल
-रजत पालकी में सवार शिव परिवार का आशीर्वाद लेने के लिए होड़,
-काशीवासियों ने बाबा से रंग खेलने और हंसी ठिठोली की अनुमति ली
वाराणसी (हि.स.)। रंगभरी एकादशी पर बुधवार की शाम काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के गौने (रंगभरी महोत्सव) में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं और शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ.कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास से ज्ञानवापी क्रासिंग स्थित बाबा दरबार तक लोग राजसी ठाटबाट के साथ दूल्हे के रूप में सजे रजत पालकी पर सवार बाबा और दुल्हन जगत जननी गौरा, उनकी गोद में बैठे प्रथम पूज्य भगवान गणेश की एक झलक पाने के लिए बेकरार रहे।
खादी के नीले कुर्ते में और सिर पर सुर्ख लाल रंग की रत्न जड़ित अकबरी पगड़ी बांधे बाबा और उनके परिवार का रजत डोला मंहत आवास से लेकर भक्त जैसे ही निकले पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से गूंज उठा।
काशी में मान्यता है की देव लोक से सभी देवी-देवता गौना करा कर लौट रहे महादेव पर पुष्प और गुलाल वर्षा करते हैं। इसी मान्यता के वशीभूत स्वत: प्रेरित होकर वहां पहुंचे शिवभक्तों में पालकी सवार शिव परिवार के रजत विग्रह का स्पर्श कर उन पर गुलाल बरसाने की होड़ मची रही। इस दौरान महिलाएं छतों, बारजों से गुलाब की पंखुडि़यां बाबा के डोली पर बरसा रही थीं। बाबा के पालकी पर इस कदर गुलाल की बौछार हुयी कि लोगों को पहचानना मुश्किल हो गया। गली में कतारबद्ध खड़े भक्तों ने पालकी पर दोनों हाथों से अबीर-गुलाल उड़ेला, जिससे जमीन से आसमान तक गुलाल ही गुलाल दिखायी दे रहा था।
महंत के आवास, गलियों से लेकर मंदिर के स्वर्ण शिखरों वाले मुक्तांगन, गर्भगृह तक लोगों के चेहरे लाल, गुलाबी हो गए। पूरे रेड जोन में गुलाल की मोटी परत जम गई। बाबा के भाल गुलाल लगाने और चढ़ाने के बाद काशीवासियों ने उनसे होली पर्व पर रंग खेलने और हंसी ठिठोली की अनुमति भी प्रतीक रूप से ले ली।
इसके पूर्व भोर में बाबा की चल प्रतिमा को पंचगव्य स्नान कराया गया। सुबह 6.30 पर षोडशोपचार पूजन के बाद लोकाचार और महाआरती हुई। नौ बजे से बाबा का राजसी श्रृंगार कर उनकी आंखों में मंदिर के खप्पड़ से काजल लाकर लगाया गया। माता गौरा के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया गया। पूर्वांह 11 बजे फलाहार का भोग लगा महाआरती की गई। इसके बाद पूर्व महंत के घर में शिव-पार्वती की चल प्रतिमाओं का दर्शन के लिए पट खोल दिया गया। इसी के साथ बाबा को अबीर-गुलाल अर्पित कर सुख, शांति, समृद्धि का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लाइन लगने लगी। शाम को शिव परिवार की आरती के बाद रजत डोली में बैठाया गया। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच पालकी उठाने के लिए भक्त धक्कामुक्की भी करते रहे।
बताते चलें कि बाबा विश्वनाथ के विवाह की रस्म बसंत पंचमी से शुरू होती है। वसंत पंचमी को बाबा का तिलक चढ़ता है। महाशिवरात्रि को शिव पार्वती का विवाह होता है। रंगभरी एकादशी के एक दिन पूर्व बाबा गौना कराने अपने ससुराल महंत आवास पहुंचते हैं। रंगभरी एकादशी की शाम गौरा का गौना कर पुत्र भगवान गणेश के साथ वापस अपने धाम लौटते हैं।
-श्री काशी विश्वनाथ धाम का दिखा भव्य नजाराश्री काशी विश्वनाथ माता गौरा का गौना करा कर (प्रतीक रूप से) महंत आवास टेढ़ीनीम से मंदिर परिसर में रजत पालकी में आये तो विश्वनाथ धाम का अलग नजारा रहा। मंदिर परिसर में परम्परानुसार पालकी घुमाई तो विश्वनाथ धाम का भव्य और विस्तार रूप देख शिवभक्त भी चकित रह गये। मंदिर पहुंचे बाबा के भक्तों को किसी तरह की दर्शन पूजन में परेशानी न हो, इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई थी।