बाबा बटुक भैरव का वार्षिक त्रिगुणात्मक शृंगार 25 को

वाराणसी (हि.स.)। बाबा बटुक भैरव का वार्षिक त्रिगुणात्मक शृंगार 25 दिसंबर को पूरे श्रद्धा के साथ किया जाएगा। दो दिवसीय शृंगार में बाबा का सात्विक, राजसी एवं तामसी स्वरूप का दर्शन पूजन अलसुबह से ही शुरू हो जाएगा। यह जानकारी मंदिर के व्यवस्थापक जितेन्द्र मोहन पुरी ‘विजय गुरू’ ने शुक्रवार को दी।

उन्होंने बताया कि रविवार 25 दिसंबर को प्रात: 4 बजे बाबा के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया जाएगा। इसके बाद सात्विक शृंगार एवं आरती होगी। इसी के साथ श्रद्धालुओं का दर्शन पूजन भी शुरू हो जाएगा। राजसी शृंगार एवं छप्पन भोग सायंकाल 4 बजे से होगा। इसके बाद बटुक रूद्र महायज्ञ होगा। रात्रि 8 से 9 बजे तक महाआरती के बाद तामसी शृंगार एवं तामसी पूजन रात 10 बजे से होगा। रात में पंचमकार द्वारा वक्रासन पूजा होगी। अगले दिन 26 दिसंबर को पूर्वाह्न 11 बजे से बटुक पूजा होगी। शरद ऋतु में बटुक भैरव के त्रिगुणात्मक शृंगार किया जाता है। इसमें सात्विक, राजसी और तामसी तीनों रूपों में बाबा के विग्रह को सजाकर भोग लगाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि बाबा के तीनों स्वरूप के दर्शन मात्र से दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों के साथ नव ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है। वर्षभर में सिर्फ एक बार शरद ऋतु में बाबा के तीनों स्वरूप का दर्शन मिलता है। उन्होंने बताया कि त्रिगुणात्मक शृंगार में बाबा को सबसे पहले सात्विक रूप में सफेद वस्त्र, पुष्प, फल एवं मिष्ठान का विशेष भोग लगाया जाता है। दोपहर को राजसी रूप में चावल, दाल, रोटी-सब्जी का भोग लगाने के बाद शाम को बाबा की महाआरती के बाद मांस, मछली, अंडा के साथ मदिरा का भोग लगता है। बाबा को प्रसन्न करने के लिए शराब से खप्पर भी भरा जाता है।

श्रीधर

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