बलरामपुर की तिली से गुजरात की उड़ती हैं पंतगें

दस हजार से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा ग्राम गैड़हवा
प्रभाकर
बलरामपुर(हि.स.)। रोजगार की तलाश में ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के सैकड़ों लोग आए दिन बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं। ऐसे में जनपद के विकासखंड तुलसीपुर के ग्राम गैढ़हवा एक उदाहरण बना हुआ है। यहां बन रही ‘बांस की तीली’ से आधा दर्जन से अधिक गांवों के करीब 10 हजार ग्रामीण जुड़कर आत्मनिर्भरता के स्वप्न को साकार कर रहे हैं। यहां के लोगों ने बताया कि यहीं की तिली से गुजरात समेत अन्य राज्यों की पंतगें आसमान को छूती हुई दिखाई देती हैं। 
 इस कारोबार के लिए यहां के लोग आसाम समेत अन्य राज्यों से बांस मंगाते हैं। इसकी कटाई की जाती है, इसके बाद छिलाई कर पतंग की तीली बनाई जाती है। पतंग की तीली बनाने का कार्य ग्राम गैढ़हवा से सुखरामपुर तेलियनडीह, मध्य नगरी, विलोहा, बनकसिया सहित अन्य आस-पास के गांव में फैला है। इन गांवों के आधे से अधिक परिवारों का इस कारोबार से ही जीविकोपार्जन चलता है। 
 इस कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि बांस व्यापारियों से बांस मंगाकर घरों में ले जाते हैं और परिवार के सभी सदस्य मिलकर पंतग की तीली बनाते हैं। यही तीली बाद में कारोबारियों के माध्यम से गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में भेजी जाती है। यह क्षेत्र पतंग की तीली बनाने के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। 
असम से आता है कच्चा माल
व्यापारी ओमप्रकाश ने बताया कि कच्चा माल बांस असम से मंगाया जाता है, इसके अलावा आसपास के जनपदों से भी आता है।
पतंग के लिए देश के कोने-कोने में जाती है तीली 
बांस का काम कर रहे गैड़हवा निवासी राम समुझ ने बताया कि पहले सिर्फ चार लोगों ने यहां बांस के तीली बनाने का कार्य शुरु किया था। आज धीरे-धीरे पूरे ग्राम सहित आसपास के दर्जनों ग्राम में यह कारोबार फैल गया। अब अकेले गैड़हवा में दो दर्जन से अधिक यहीं के थोक कारोबारी हैं, जो कच्चा माल मंगाते हैं। लोग बांस ले जाकर उसका तीली बनाकर वापस बेंच जाते हैं। बाद में यहां से एकत्र करके गुजरात, राजस्थान, हरियाणा सहित देश के कोने-कोने में पतंग बनाने के लिए तीली यहां से जाती है। 
दस हजार से अधिक परिवार बने आत्मनिर्भर 
तीली बनाने के कार्य में जुटे ओमप्रकाश, जयनरायन, सोमपाल, बृजेश, धर्मेंद्र ने बताया कि इस क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति मजदूरी करने या काम की तलाश में बाहर नहीं जाता। यहां के लोग परिवार सहित अपना काम करते हुए घरों पर ही तीली बनाने का काम करते हैं।
 कहा कि दशकों से चल रहे इस बांस के तीली बनाने के कार्य को यदि सरकारी सहयोग मिल जाय तो इस कार्य को और बढ़ावा मिल सकता है। उपजिलाधिकारी विनोद सिंह ने बताया कि इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजा जायेगा।

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