फिल्म सिटी: जो बीज बोया है, उसे पानी से सींचेंगे और सूरज की रोशनी में ये पलेगा-बढ़ेगा-अनुपम खेर

-हमारी भाषा के पास अपना सिनेमा तो था लेकिन, जमीन नहीं : मनोज मुंतशिर


-मुख्यमंत्री योगी फिल्म सिटी को लेकर निर्माता-निर्देशकों के साथ कर रहे संवाद

-सभी ने सरकार के कदम को सराहा, बोले उप्र को मिलेगी नई पहचान


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बॉलीवुड के चर्चित निर्माता-निर्देशकों के साथ बैठक में उनकी राय जान रहे हैं। इस दौरान सभी ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे बहुत बड़ा कदम बताया। सभी ने उम्मीद जताई कि इससे उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान मिलेगी। यहां के कलाकारों को न सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही काम मिलेगा, बल्कि आर्थिक नजरिए से भी यह उत्तर प्रदेश के लिए काफी फायदेमन्द साबित होगा।
बैठक में अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि योगी जी आपकी सरकार काम करने में विश्वास करती है बोलने में नहीं। फिल्म सिटी का जो बीज मुख्यमंत्री ने बोया है उसे हम पानी से सींचेंगे एवं सूरज की रोशनी में ये पलेगा बढ़ेगा, यही मेरी शुभकामना है। मनोज मुंतशिर ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा ने युवाओं के 10 साल के संघर्ष का समय कम कर दिया है। मैं स्वयं अमेठी से हूं। इसलिए उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह से समझता हूं। हमारी भाषा के पास अपना सिनेमा तो था। लेकिन, उस सिनेमा के पास अपनी जमीन नहीं थी। 75 साल से किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में सोचा और तत्काल कदम उठाया इसके लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद है। 
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाषा तो पूरे देश में फैल गई। लेकिन, हमारी कहानियां यहीं रह गईं। क्योंकि उत्तर प्रदेश की खुद की कोई इंडस्ट्री नहीं है। हमने आल्हा उदल, मदन मोहन मालवीय जैसे कितने महानायकों के बारे में पढ़ा है। लेकिन, पर्दे पर इनकी कहानियां नजर नहीं आई। देश के साथ पूरी दुनिया के लोग इससे प्रेरणा लेतें। इसलिए ऐसी कहानियों को आगे बढ़ाने के लिए खास ध्यान देना होगा। इस संबंध में एक खास विभाग हो, जो इस तरह की कहानियों को प्रोत्साहित करें। 
मनोज मुंतशिर ने कहा कि एक अहम जरूरत यह भी है कि हमारे यहां का टैलेंट अभिनय सीखने के लिए पुणे सहित कई अन्य जगह पर जाता है। फिर उसके बाद वापस आकर संघर्ष करता है। फिल्म इंडस्ट्री की नींव रखी के साथ इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यहां पर एक फिल्म इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की जाए, जिससे प्रदेश के युवा यहीं पर अपनी अभिनय क्षमता को निखार सके। इसके साथ एक अन्य जरूरी बात यह भी है कि काफी स्टूडियो होने के बावजूद कहीं प्लेबैक सिंगिंग सिखाने पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसलिए म्यूजिकल अकैडमी भी फिल्म सिटी में बनाई जाए, जिससे युवा प्लेबैक  सिंगिंग सीख सकें।
बाहुबली फिल्म के लेखक बृजेंद्र प्रसाद ने कहा की मुझे खुशी होगी इस फिल्मसिटी में आकर अपनी पूरी फिल्म को शूट करके। 
निर्माता-निर्देशक नितिन देसाई ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव बेहद सराहनीय है। जो प्रेजेंटेशन आज देखा गया है, उसमें कई चीजों का ध्यान रखा गया है। इससे स्थानीय इंडस्ट्री को  लाभ मिलेगा। राजस्थान, हरियाणा, बिहार सहित अन्य राज्यों को भी इसकी वजह से लाभ मिलेगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय फिल्मों का भी निर्माण संभव हो सकेगा, क्योंकि 1000 एकड़ की फिल्म सिटी बनना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि किसी चीज को बनाना अलग बात होती है और चलाना अलग बात होती है। लेकिन, आज के प्रेजेंटेशन को देख कर लग रहा है कि यहां सभी चीजों का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री केवल नाच गाने तक सीमित नहीं है। यह बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देती है। देश की अर्थव्यवस्था में इसका अहम योगदान है। कई सीरियल की शूटिंग तो सालों तक चलती रहती है। इससे यहां के लोगों को भी काफी फायदा मिलेगा। 
विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग कुछ करने के लिए यहां से बाहर जाते हैं और भीड़ में खो जाते हैं। वहीं कई लोगों को मैं टैलेंट तो बहुत होता है लेकिन पारिवारिक और अन्य समस्याओं के कारण वह बाहर नहीं निकल सकते। ऐसे में इस तरह की नई पहल बेहद प्रभावी साबित होगी और उत्तर प्रदेश के टैलेंट को भी कुछ कर दिखाने का मौका मिलेगा। 
अशोक पंडित ने कहा कि इस तरह बैठक में फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को शामिल करना बेहद अहम है। फिल्म इंडस्ट्री के लोग इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि फिल्म सिटी में किस तरह की आवश्यकता है, कैसा इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। इसलिए इस बैठक में इंडस्ट्री के लोगों को शामिल करने का बहुत लाभ मिलेगा। सभी लोग अपनी राय दे रहे हैं। यकीनन उत्तर प्रदेश की फिल्म सिटी पूरी 100 प्रतिशत सफल होगी। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को बहुत लाभ मिलेगा। ना केवल हिंदी बल्कि बांग्ला, भोजपुरी, मराठी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़े इंडस्ट्री को लेकर भी यहां काम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं और मैं फिल्म इंडस्ट्री के लोगों की ओर से विश्वास दिलाता हूं कि हम कंधे से कंधा मिलाकर इस काम में सरकार का साथ देंगे।
बैठक में कई लोग वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए अपनी बात रख रहे हैं और कई राजधानी में बैठक में शामिल होने पहुंचे हैं। इस दौरान अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 सितम्बर को मेरठ मंडल की बैठक के दौरान फिल्म इंडस्ट्री के बारे में जानकारी मांगी थी। वहीं महज तीन दिनों में ही इसका प्रस्ताव तैयार कर आज ये बैठक हो रही है। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 
इस दौरान यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुण वीर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जनपद गौतम बुद्धनगर में फिल्म सिटी स्थापित किए जाने के संबंध में नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद तत्काल इस पर काम करते हुए इसे दिया गया। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में सेक्टर 21 औद्योगिक सेक्टर के रूप में है। तथा मास्टर प्लान 2021 द्वारा मंजूर है। इस सेक्टर में औद्योगिक भूखंडों के लिए 780 एकड़ तथा व्यावसायिक भूखंडों के लिए 220 एकड़ को मिलाकर कुल 1000 एकड़ जमीन उपलब्ध है। फिल्म सिटी प्राधिकरण के मास्टर प्लान के अनुसार औद्योगिक गतिविधि है जो सेक्टर 21 में स्थापित की जा सकती है।
मुख्यमंत्री की फिल्म सिटी निर्माण की घोषणा के बाद यह पहली बैठक है। फिल्म नगरी महाराष्ट्र में मचे बवाल के बीच इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा दांव माना जा रहा है।मुख्यमंत्री के मुताबिक वर्तमान परिस्थितियों में देश को एक अच्छी फिल्म सिटी की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश यह जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार है। हम एक उम्दा फिल्म सिटी तैयार करेंगे।

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