प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सभी राज्यों को व्यावहारिक समाधान लेकर आने को कहा
– मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को
नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए सभी राज्य व्यावहारिक समाधान लेकर सामने आएं। लोगों को मरने की इजाजत नहीं दे सकते। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिव ठोस कदम उठाएं अन्यथा उन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। खेतों में पराली की आग रोकनी होगी। बैठकें हो रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो पा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि हस्तक्षेप करने के बाद ही चीजें क्यों आगे बढ़ती हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वो पराली को वैकल्पिक ईंधन बनाने वाली मशीनों का 50 फीसदी वहन करने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रोत्साहन या जुर्माना लगा सकते हैं जैसे जो लोग पराली जलाते हैं, उन्हें अगले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा।
इस पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) के चेयरमैन की उपस्थिति में डीपीसीसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि हमने विवरण देते हुए हलफनामा दायर किया है। तब जस्टिस कौल ने पूछा कि डाटा को रिकॉर्ड पर अपडेट क्यों नहीं रखा जा रहा। तब डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर प्रायोगिक आधार पर स्थापित किया गया था। जिसका प्रभाव क्षेत्र दो किलोमीटर तक होने की उम्मीद थी। हालांकि जून से सितंबर-अक्टूबर तक बारिश होने के कारण स्मॉग टावर को बंद करना पड़ा क्योंकि बारिश के दौरान इसे नहीं चलाया जा सकता।
जस्टिस कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है। किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हालांकि उसके बाद भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है। कोर्ट ने ऑड-इवन स्कीम पर आज फिर सवाल उठाया और कहा कि एमिकस ने कहा है कि इस स्कीम से फायदा नहीं होगा। वहीं, दिल्ली सरकार ने दो रिसर्च सुप्रीम कोर्ट से साझा करते हुए कहा कि इस स्कीम के जरिए फायदा होगा।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी किसान कैसे किसी दूसरे विकल्प पर जाएगा जब तक उसे सुविधा न दी जाएगी। इस पर वकील विकास सिंह ने कहा कि मशीनों पर 80 फीसदी सब्सिडी है लेकिन उसके बाद भी किसान उसे नहीं ले रहे हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी ही होगी। केवल आप एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। आप अभी एफआईआर दर्ज करेंगे बाद में उसे वापस ले लेंगे, लेकिन पराली जलाने से जो नुकसान होगा वो तो होगा ही।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि आप कोर्ट के आदेश लागू करें। हम लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार पर सवाल उठता है कि किसान केवल बासमती की फसल ही क्यों उगाते हैं। पंजाब सरकार आखिर किसानों के संगठन से बात क्यों नहीं करती। उनका संगठन बेहद एक्टिव है। राज्य सरकार को बात करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर हम कमेटी बनाते हैं तो जिम्मेदारी कमेटी पर शिफ्ट हो जाएगी। इसे राज्य के कैबिनेट सेक्रेटरी मॉनिटर करेंगे।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि वो दीपावली के बाद कृत्रिम बारिश करना चाहते हैं। इसको लेकर कई एजेंसी को इजाजत की जरूरत होगी। केंद्र से इजाजत चाहिए। तब जस्टिस कौल ने कहा कि इसके लिए हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है। अटार्नी जनरल यहां हैं, आप बात करिए।
कोर्ट ने 7 नवंबर की सुनवाई के दौरान पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती बरतते हुए कहा था कि राज्य सरकारें पराली जलाने की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाएं। हम नहीं जानते कि आप कैसे करेंगे, पर इसे तत्काल रोकिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण का तत्काल समाधान होना चाहिए, इस मामले में हमारा जीरो टॉलरेंस है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि आपको कोई ऐसा उपाय करना चाहिए कि किसान दूसरी फसलों की खेती की तरफ रुख करें। पंजाब सरकार ने कहा कि छोटे और मंझोले किसानों को इसके लिए हम गिरफ्तार नहीं कर सकते। हम पराली प्रबंधन की मशीनों पर 50 फीसदी छूट दे रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि आप कुछ भी कीजिए, पराली जलाने की घटनाओं को हर हाल में रोकिए।
संजय/ संजीव/पवन