पेगासस स्पाइवेयर की सेवा देने वाली कंपनी एनएसओ ने आरोपों को नकारा
नई दिल्ली(हि.स.)। भारत और वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले पेगासस स्पाइवेयर की सेवा देने वाली कंपनी एनएसओ ने बयान जारी कर कहा है कि हैकिंग के लिए संभावित भारतीय फोन नंबरों की सूची का एनएसओ समूह से संबंधित नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 50,000 से अधिक फोन नंबरों की पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी की रिपोर्ट के बाद कंपनी ने सुर्खियां बटोरीं। जिसमें पत्रकारों, राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित 50 देशों में 1,000 से अधिक लोग सरकारों द्वारा निगरानी में पाए गए।
एनएसओ समूह ने स्पाइवेयर की बिक्री पर ताजा विवाद का जवाब देते हुए कहा कि इन टेलीफोन नंबरों की सूची का पेगासस से कोई लेना देना नहीं है।
एनएसओ का दावा है कि पेगासस पर गलत तरीके से निशाना साधा जा रहा है। एनएसओ एक तकनीकी कंपनी है। हम सिस्टम को संचालित नहीं करते हैं, न ही हमारी ग्राहकों के डेटा तक पहुंच है। कंपनी ने कहा कि वह अपनी प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग के किसी भी विश्वसनीय सबूत की जांच करेगी और जहां आवश्यक हो सिस्टम को बंद कर देगी। कंपनी ने कहा कि वह अब इस मामले पर मीडिया पूछताछ का जवाब नहीं देगी।
रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी, दो केंद्रीय मंत्रियों, तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी और करीब 40 पत्रकारों समेत कई कांग्रेसी नेता उन लोगों में शामिल थे, जिनके फोन नंबर इजरायली स्पाईवेयर के जरिए हैकिंग के संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध थे।
हालांकि भारत सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है। केंद्रीय आईटी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रिपोर्टों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले लगाए गए आरोपों का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र को खराब करना था।
कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता में लोकसभा सचिवालय में सूचना और प्रौद्योगिकी पर 32 सदस्यीय संसदीय स्थायी समिति 28 जुलाई को एक बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है। बैठक का एजेंडा ‘नागरिक’ डेटा सुरक्षा और गोपनीयता है।
पैनल ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया है। इस पैनल में अधिकतम सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य हैं।