पूर्वांचल फिर बनेगा चीनी का कटोरा, योगी ने किया मुंडेरवा-पिपराइच मिलों के सल्फरमुक्त प्लांट का लोकार्पण

-बोले, पिछली सरकारों में बेची गई 21 चीनी मिलें
-पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर अखिलेश पर बोला हमला, कहा, लैपटॉप नहीं कि एक बार देंगे
लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच चीनी मिल में स्थापित सल्फरमुक्त प्लांट का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले की सरकारों में 21 चीनी मिलें बेची गईं, जबकि इन दोनों चीनी मिलों की वजह से अब यहां का नाम होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि इसमें किसानों को धनराशि दी जा रही है। ये समाजवादी पार्टी का लैपटॉप नहीं है कि एक बार देंगे बाद में वापस मंगवा लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा, वह करके दिखाया।  मुख्यमंत्री को मुंडेरवा चीनी मिल में सल्‍फरमुक्‍त प्‍लांट का लोकार्पण करना था। लेकिन, वहां कोहरे की वजह से उनका हेलीकाप्‍टर उतर नहीं पाया। इस वजह से उन्होंने पिपराइच में सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा​ कि ये प्रदेश का पहला इस तरह का प्लांट है। यहां पर बनी चीनी दुनिया के बड़े-बड़े होटलों, चिकित्सालयों और दवा कंपनियों में जाया करेगी। इन चीनी मिलों से दोनों जनपदों और इनके कस्बों का भी नाम होगा। निजी क्षेत्र की पिपराइच चीनी मिल 1932 में लगी थी। 1974 में इस चीनी मिल का अधिग्रहण किया गया। लेकिन, 1999 में इस चीनी मिल को बंद कर दिया गया।  उन्होंने कहा कि ऐसे ही मुंडेरवा चीनी मिल भी 1932 में लगी थी और 1984 में उसका अधिग्रहण किया गया और 1999 में मिल बंद हो गई। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का हर एक कस्बा किसी ना किसी चीनी मिल पर आधारित है। यहां के किसानों की आजीविका, नौजवानों का रोजगार और नौकरी, यहां के व्यापारियों का व्यापार का माध्यम यह चीनी मिलें हुआ करती थीं। 
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने एक साजिश के तहत प्रदेश की 21 चीनी मिलों को बेचा गया। हम लोगों ने उस समय आंदोलन भी किया था। तब हम लोग पिपराइच चीनी मिल के परिसर में आंदोलन करने के लिए आए थे। लेकिन, पिछले 21 वर्षों तक किसी सरकारों ने इस बात को नहीं सुना। जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में आई तो पिपराइच और मुंडेरवा में भी नई चीनी मिलों का की स्थापना हुई। उन्होंने कहा कि उस समय नई चीनी मिलों के बारे में लोग तमाम प्रकार की अफवाह फैलाते थे। 
उन्होंने कहा कि पुरानी चीनी मिल में कुल 12 लाख कुंतल गन्ने की एक वर्ष में पराई होती थी। वहीं अब दोनों चीनी​ मिलों में एक वर्ष में 45-45 लाख कुंतल गन्ने की पेराई हुई है। यानी लगभग चार गुना अधिक गन्ने की पेराई हुई और गन्ने का भुगतान भी समय से किया गया। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भी प्रदेश में 119 चीनी मिलें संचालित की गई। इन चीनी मिलों के संचालन के साथ ही अब तक उत्तर प्रदेश के अंदर 11,2000 करोड़ रुपये के रिकार्ड गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया। इतना भुगतान और कभी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धनराशि उतनी है, जितना बहुत सारे राज्यों का वार्षिक बजट भी नहीं है। यह किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने और उनके चेहरे पर खुशहाली लाने का उत्तर प्रदेश शासन और भारत सरकार का अभियान है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए देश के अंदर पिछले छह वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जितने वृहद और व्यापक कार्य योजना कार्यक्रम चलें उसे देखते हुए आज आवश्यकता है कि सही तथ्य किसानों के सामने पहुंचने चाहिए।उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 65 वर्षों में जितना किसानों के हित के लिए कार्य नहीं हुआ, उतना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मात्र छह वर्षों में हुआ है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई, मृदा परीक्षण कार्यक्रम, गन्ना किसानों को एक्सपोर्ट सब्सिडी, गन्ने से सीधे एथेनॉल बनाकर किसानों को लाभकारी दाम दिलाने से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पहली बार आजादी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को उपलब्ध कराया। लागत का डेढ़ गुना दाम प्रधानमंत्री ने किसानों को उपलब्ध कराने का काम किया है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि यही नहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से हर किसान को सालाना 6,000 रुपये देने का कार्य किया जा रहा है। राज्य में अभी 2.20 करोड़ से अधिक किसानों को 2,000 की किश्त दी जा रही है। यह 4,443 करोड़ रुपये की किश्त है। जिन्हें किसानों की समृद्धि अच्छी नहीं लगती, वे विरोध करते थे कि ये चुनावी शिगूफा है एक बार दे दिया आगे नहीं देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या ये समाजवादी पार्टी का लैपटॉप है, कि एक बार देंगे बाद में वापस मंगवा लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा, वह करके दिखाया। 
उन्होंने कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि किसानों के पास  पैसा पहुंचे। आज एक क्लिक दबाने पर धनराशि सीधे किसान के खाते में चली जाती है। कांग्रेस के समय में पैसा बीच तमें दलाल खा जाते थे और आज दलालों को बुरा लगता है, क्योंकि उनके द्वारा लूट खसोट को तकनीक के माध्यम से रोक लगाने का कार्य किया गया है। इसलिए यह लोग अब किसी ना किसी साजिश के जरिए सरकार को बदनाम करने में लगे हुए हैं। खड्यंत्र करने में लगे हैं, हम सबको इसलिए सचेत होना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने मुंडरेवा और पिपराइच चीनी मिलों का लोकार्पण पिछले वर्ष किया था। उसी समय उन्होंने घोषणा की थी कि दोनों चीनी मिलों में सल्फरमुक्त चीनी का उत्पादन किया जाएगा। बाजार में सफेद, ब्राउन और सल्फरलेस चीनी की बिक्री होती है। सामान्य तौर पर चीनी ब्राउन कलर की बनती है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन भी होता है। उसे सफेद और महीन बनाने के लिए सल्फर मिला दिया जाता है। इससे अन्य तत्वों की मात्रा कम हो जाती है। इसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सल्फर युक्त चीनी में कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है। इससे सांस की दिक्कत भी हो सकती है। बिना सल्फर मिलाए ही चीनी को रिफाइंड करके जो चीनी तैयार होती है, वह स्वास्थ्य के लिए बेहतर होती है।

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