पुस्तक समीक्षा : लड़कियों के लिए लिखा गया भारत का पहला थ्रिलर ‘नायिका’ उपन्यास रिलीज
– महिलाओं पर अत्याचारों को खूबी के साथ दर्शाता है अमित खान का उपन्यास
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय चर्चित लेखक अमित खान का ‘नायिका’ उपन्यास बाजार में आया है। यह शानदार सायको थ्रिलर है। ‘नायिका’ महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों को खूबी के साथ दर्शाता है। इसकी खास बात यह है कि यह दो घंटे के एक रेडियो शो की कहानी की तरह है। जब तक रेडियो शो चलता है, तभी तक एक जबरदस्त डरा देने वाला ड्रामा चलता है, जिसमें थ्रिल भी है, सस्पेंस भी है, मर्डर भी है।
उपन्यास की कहानी कुछ यूं है कि एक सायको लड़की किस तरह एक घर में घुस जाती है और फिर उसके बाद न सिर्फ पूरे मुंबई शहर में बल्कि पूरे देश में हंगामा मच जाता है। थ्रिलर रचनाओं को पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए यह उपन्यास बहुत सारी घटनाओं से भरा एक बेहद तेज रफ्तार उपन्यास है। इसमें एक सायको लड़की का चरित्र- चित्रण शानदार अंदाज में किया गया है। कई बार तो इस लड़की से डर भी लगता है कि पता नहीं वो कब क्या कर गुजरेगी। लेखकीय पक्ष में अमित ने लिखा है कि यह उपन्यास खासतौर से लड़कियों के लिये लिखा गया है। उपन्यास पढ़ने से पहले सभी की जिज्ञासा होगी कि आखिर इस थ्रिलर में ऐसा क्या हो सकता है, जो खासतौर पर लड़कियों के लिए है?
उपन्यास में मौत के तांडव की ऐसी सनसनीखेज कहानी है जिसे पढ़ने के बाद भी हत्यारे से नफरत नहीं होती। शहर में कत्ल दर कत्ल होते जाते हैं लेकिन पुलिस आरोपी को पकड़ नहीं पाती, क्योंकि हर मरने वाला आरोपी है। इस राज का खुलासा भी एक रेडियो शो में होता है और लोग उसकी वजह जानकार भौचक्के रह जाते हैं। सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर अमित खान का यह उपन्यास आखिरी पन्ने तक बांधकर रखने और पढ़ने के लिए मजबूर करने की क्षमता रखता है।
उपन्यास के कुछ प्रसंग बहुत चौंका देने वाले भी हैं, जो उपन्यास पढ़ते-पढ़ते हैरान कर देते हैं। इस उपन्यास की एक और विशेषता है कि इस उपन्यास को प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक महेश भट्ट ने भी ‘आउटस्टैंडिंग थ्रिलर’ का कोट दिया है। इसे अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन हाउस ‘पेंगुइन रेंडम हाउस’ ने प्रकशित किया है और ‘अमेजॉन’, ‘फ्लिपकार्ट’ पर उपलब्ध है। कुल 248 पेज के इस उपन्यास का मूल्य 199 रुपये है। अमित खान के अभी तक 100 से ज्यादा हिन्दी उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं और आजकल वह हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में भी बेहद सक्रिय हैं।
सुनीत/मुकुंद