पुराने गानों के रीमेक में ‘रैप’ जोड़ने से भड़के जावेद अख्तर

मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर अपने गीतों और शायरी के लिए जाने जाते हैं। इसके साथ ही जावेद अख्तर काफी बेबाक हैं और अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। वे कला और विशेषकर संगीत के क्षेत्र में हो रहे बदलावों के बारे में गर्मजोशी से बात करते हैं। राजनीति पर भी टिप्पणी करते हैं। उन्होंने हाल ही में नए गानों में रैप जोड़ने पर टिप्पणी की है, जिसने उन्हें चर्चा का विषय बना दिया है।

जावेद अख्तर पुराने गानों पर दोबारा काम करने के विरोधी नहीं हैं लेकिन उनका मानना है कि व्यावसायिक दृष्टिकोण से किए गए बदलाव पूरे गाने का मजा खत्म कर देते हैं। एक इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा, ‘पुरानी यादों को ताजा करना, उन गानों को नए रूप में पेश करना या ऐसा करने की कोशिश करना बिल्कुल गलत नहीं है। लेकिन ऐसी कलात्मक चीजों के लिए पुरानी कलाकृति पर निर्भर रहना खतरनाक है।’

जावेद अख्तर ने कहा, ‘यह सही नहीं है कि आप एक महान पुराना गाना लें और फिर इस तरह के रैप को इंटरल्यूड के रूप में इस्तेमाल करें जो अर्थहीन और अजीब है। यह ताजमहल में डिस्को गाने बजाने जैसा है।’ जावेद अख्तर ने ये भी कहा कि ये गाने हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं इसलिए इनका इस तरह अपमान उचित नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘ये पुराने गाने आज भी लोगों के दिलों के करीब हैं। इन गानों को महान संगीतकारों, गायकों, गीतकारों द्वारा संगीतबद्ध किया गया है। आपको उनका सम्मान करना चाहिए। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है। अगर आप इन गानों को नए रूप में पेश करना चाहते हैं तो जरूर करें। अगर आप केएल सहगल के गाने को अरिजीत सिंह की आवाज में दोबारा बनाना चाहते हैं तो जरूर बनाएं, लेकिन बीच में रैप जोड़ना बिल्कुल सही नहीं है।

जावेद अख्तर फिल्म इंडस्ट्री के बेहद मशहूर गीतकार और लेखक हैं। उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

लोकेश चंद्रा/संजीव

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