पीएफआई सदस्यों को मथुरा जेल मे बंद करने के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, रिहाई की मांग

केन्द्र, राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी 

प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा से गिरफ्तार कर जेल में बंद पीएफआई सदस्यों अतीक-उर-रहमान, आलम (कैब ड्राइवर) व मसूद (एक्टविस्ट) की अवैध निरूद्धि के खिलाफ दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, जेल अधीक्षक मथुरा व प्रबल प्रताप सिंह दरोगा थाना मान्ट मथुरा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी। 
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की खंडपीठ ने जेल मे बंद एक याची के मामा शेखावत खान की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है। 
मालूम हो कि तीनों को मथुरा पुलिस ने 5 अक्तूबर 20 को मथुरा से गिरफ्तार किया है। इन्हें हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिलने जाते समय शांति भंग के अंदेशे में गिरफ्तार किया गया। सीजेएम द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया है। 
याचिका में मजिस्ट्रेट के न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजने के आदेश की वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि उन्हें क्षेत्राधिकार ही नहीं है। इसलिए निरूद्धि अवैध होने के कारण रिहा किया जाय अथवा जमानत पर रिहा किया जाय। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि याचियों ने कोई अपराध नही किया है और वे पीएफआई सदस्य भी नहीं है। पुलिस ने बिना साक्ष्य के उन्हें बलि का बकरा बनाया है। उन्हें जबरन पीएफआई सदस्य बताकर जेल में बंद किया गया है।

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