पांच वर्षों में 809 पाकिस्तानी बने भारतीय
-नई दिल्ली। भारत ने पिछले वर्ष सबसे ज्यादा 809 पाकिस्तानियों को भारत की नागरिकता दी है। 2015 के बाद से बांग्लादेशियों को सबसे अधिक भारतीय नागरिकता मिली है लेकिन यह मुख्य रूप से 2015 भूमि सीमा समझौते के कारण है। कुल मिलाकर भारतीय नागरिकता पाने वालों में पाकिस्तान के नागरिक शीर्ष पर हैं। पांच वर्षों में 56 देशों के 18,855 निवासियों को बतौर भारतीय नागरिक की मान्यता दी गई है। भारत ने पिछले पांच साल में 2668 पाकिस्तानी नागरिकों को नागरिकता दी है। 2015 में 263, 2016 में 670, 2017 में 467, 2018 में 405 और 2019 में 809 पाकिस्तानी भारत के निवासी बने हैं। वैसे तो 2015 के बाद से सबसे ज्यादा 15,012 बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता मिली लेकिन यह संख्या इसलिए ज्यादा दिखाई देती है क्योंकि 2015 में बांग्लादेश से हुए भूमि सीमा समझौते के कारण सीमावर्ती क्षेत्र के 14,880 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता दी गई थी। इसके बाद से यह क्रम अब भी चल रहा है जिसके तहत 2016 में 39, 2017 में 49, 2018 में 19 और 2019 में 25 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है।
इसके अलावा अफगानिस्तान के 665 नागरिकों को पिछले पांच साल में भारत की नागरिकता दी गई है। 2015 में 234, 2016 में 244, 2017 में 117, 2018 में 30 और 2019 में 40 अफगानी भारत के नागरिक बने हैं। श्रीलंका के 17 नागरिकों को 2015 में, 35 नागरिकों को 2016 में, 34 नागरिकों को 2017 में, 12 नागरिकों को 2018 में और 11 नागरिकों को 2019 में भारत का नागरिक बनाया गया है। इसके अलावा भारत से हर तरह के सम्बन्ध मजबूत कर रहे 105 अमेरिकियों को पांच साल में भारत के नागरिक के तौर पर स्वीकार किया गया है। इसमें 2015, 2016 और 2017 में 25-25 नागरिकों को 2018 में 20 और 2019 में 10 अमेरिकियों को भारत का नागरिक बनाया गया है।
पांच सालों में नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के 40-40, केन्या के 23, मलेशिया के 21, कनाडा के 18, सिंगापुर के 18, फिलीपींस के 13, तंजानिया के 13, ईरान के 10, जर्मनी के 09, यमन के 08, ऑस्ट्रेलिया के 06, यूक्रेन के 05, जाम्बिया के 06, फ़्रांस के 05, इंडोनेशिया के 03, पुर्तगाल के 05, वेनेजुएला और जिम्बाव्बे के 04-04, चीन-इटली-मॉरीशस-दक्षिण अफ्रीका और स्पेन के 03-03, बेलारूस-इजराइल और पेरू के 02-02 नागरिकों को भारत की नागरिकता मिली है। इसके अलावा 23 अन्य छोटे-छोटे देशों के एक-एक नागरिक को भारत ने अपने देश के नागरिक के तौर पर मान्यता दी है।