पर्यावरण संरक्षण और पीएम के महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने में जुटे हैं प्रवासी श्रमिक
बेगूसराय। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में भागम-भाग की स्थिति अब भी बनी हुई है। देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले लाखों श्रमिक बिहार आए हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार 25 हजार से अधिक श्रमिक बेगूसराय जिला भी आए हैं। काम बंद होने के कारण मजदूरों के वापस आने और काम नहीं मिलने के बाद फिर परदेस जाने का सिलसिला जारी है। हालांकि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के आने के बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू किया गया। औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना चलाई जा रही है। विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों में प्रवासी कामगारों को काम मिल रहा है। स्वरोजगार के लिए कलस्टर निर्माण की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है। लेकिन प्रवासी मजदूरों को काम दिलाने में सबसे अधिक कारगर साबित हो रही है जल- जीवन- हरियाली योजना। देश के विभिन्न शहरों से वापस आए श्रमिक जल- जीवन और हरियाली के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत में भी अपना योगदान दे रहे हैं। सभी पंचायतों में दो-दो सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें एक ओर जहां प्रवासी श्रमिकों को काम मिल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर गांव में लोग खुले में शौच जाने से भी मुक्त होंगे। जबकि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत निर्धारित कार्य को प्रवासी श्रमिक के माध्यम से अभियान चलाकर लगातार पूरा किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना को जुलाई में हर हाल में पूरा करने के लिए मिशन मोड में काम चल रहा है। नौ अगस्त को प्रस्तावित राज्यव्यापी वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी प्रवासी को अधिक से अधिक काम देने की कवायद चल रही है।इसके अलावा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना समेत सभी सरकारी विभागों को, तमाम सार्वजनिक उपक्रमों को अधिक से अधिक प्रवासी कामगारों को काम उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है, इस पर कार्रवाई भी हो रही है। स्वरोजगार के साधन अवसर की विकसित किए जा रहे हैं। हालांकि ढ़ेर सारी योजना चलने के बावजूद हजारों-हजार श्रमिक काम काम नहीं मिलने के कारण गांव में बेहाल हो गए हैं। दिल्ली, मुंबई समेत देश के विभिन्न शहरों को कामगारों ने इस उम्मीद में छोड़ दिया था कि उन्हें गांव में काम मिलेगा। लेकिन काम नहीं मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। जिस शहर को उन्होंने छोड़ दिया था, पेट की भूख ने फिर से उस शहर जाने को मजबूर कर दिया। सप्ताह में दो दिन मुंबई और आसाम जाने वाली ट्रेन से बड़ी संख्या में प्रवासी विभिन्न शहरों की ओर जा रहे हैं। वैशाली एक्सप्रेस के माध्यम से रोज सैकड़ों श्रमिक दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब जा रहे हैं। जाने वाले कामगारों को श्रमिकों को जब वहां काम मिल रहा है तो फोन कर अपने साथियों को, गांव वालों को भी बुला रहे हैं। रविवार की सुबह वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे भूपेंद्र राय, रामचंद्र राय, गजेंद्र राय, सुरेश राय, मनोज तांती, सोमवती, वीरेंद्र दास आदि ने बताया कि यहां शासन-प्रशासन काम देने, रोजगार दिलाने का उपाय कर रही। लेकिन उसमें सभी लोगों काम मिलना संभव नहीं है। प्रधानमंत्री द्वारा हमारे लिए योजनाओं की शुरुआत की गई है। लेकिन वह अभी पूर्ण रूप से धरातल पर नहीं उतरा है, जिसके कारण मजबूरी में परदेस जा रहे हैं। वहां कमाएंगे तो परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ सुधरेगी। कोरोना ने इस चार महीने में हम लोगों को बदहाल कर दिया है तो फिर परदेस जाने की मजबूरी है। यहां जब बड़े पैमाने पर काम शुरू हो जाएगा तो फिर लौट कर आ जाएंगे। लेकिन अभी यहां रहने से कोई फायदा नहीं है, यहां रहेंगे तो भूख हो मरेंगे परदेस जाएंगे तो कोरोना से लड़ेंगे।