पक्षियों का वास, बचाने की आस
बिवाश रंजन
भारत पक्षियों के लिहाज से एक अनूठी विविधता वाला का देश है। यहां के विविध भौगोलिक इलाकों में पक्षियों की बहुरंगी प्रजातियां निवास करती हैं। उत्तर में बर्फ से ढके हिमालय से लेकर दक्षिण में पश्चिमी घाट के मनमोहक जंगलों तक, और पश्चिम में राजस्थान के शुष्क रेगिस्तानों से लेकर उत्तर-पूर्व की हरी-भरी आर्द्रभूमि तक। भारत का पक्षी जगत इसके भूगोल की तरह ही विविधताओं से भरा है। स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स (एसओआईबी) 2023 की रिपोर्ट से पता चलता है कि यह देश पक्षियों की 1,300 से अधिक प्रजातियों का निवास-स्थान है और पक्षियों की वैश्विक विविधता के लगभग 12.40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। पक्षियों की इन 1,353 प्रजातियों में से 78 प्रजातियां (5 प्रतिशत) इस देश में स्थानिक हैं। हालांकि, इस जीवंत झुंड का भविष्य तेजी से अंधकारमय हो रहा है, क्योंकि इनके निवास स्थान के विनाश, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं।
इस क्षेत्र में पक्षियों को वर्तमान में कई प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण खतरा निवास स्थान की हानि और ह्रास है।इसके बाद मानव और वन्य जीवों के बीच का संघर्ष है। आवासों की क्षति एवं हानि के मूल कारण जटिल व आपस में जुड़े हुए हैं। इन कारणों में शहरीकरण, ढांचागत विकास, वर्तमान कृषि पद्धतियां, अत्यधिक दोहन के कारण प्राकृतिक वन आच्छादन को खतरा, संसाधनों की उच्च विदेशी मांग और संरक्षण समर्थक नीतियों का अपर्याप्त कानूनी प्रवर्तन शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन एक और मंडराता हुआ खतरा है।
इन खतरों से निपटने के लिए भारत ने पक्षियों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 वर्षीय योजना ‘देश में पक्षियों की विविधता, उनके इको सिस्टम, आवास और भौगोलिक परिदृश्य के संरक्षण के लिए दूरदर्शी परिप्रेक्ष्य योजना (2020-2030)’ –का उद्देश्य भारत में पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण से संबंधित कार्रवाई को आगे बढ़ाना है। यह कदम भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना (2017 से 2031 तक) के अतिरिक्त है। इस कार्ययोजना में भी पक्षियों एवं उनके आवासों की सुरक्षा से जुड़े कई संरक्षण कार्य शामिल हैं। यह योजना पक्षियों की दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए छोटी, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं की एक शृंखला का प्रस्ताव करती है।
भारत में पक्षियों की विविधता भरी आबादी इस देश की प्राकृतिक समृद्धि का प्रमाण है। हालांकि, इन खूबसूरत पक्षियों को निवास स्थान के नुकसान से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है। उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए संरक्षण के प्रयास आवश्यक हैं। संरक्षित क्षेत्रों, कानूनी उपायों, आवास बहाली और जन-जागरुकता के माध्यम से, भारत अपनी पंखयुक्त विरासत की रक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहा है। प्रत्येक व्यक्ति इन प्रयासों को समर्थन देकर और उनमें भागीदारी करके अपना योगदान दे सकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के आकाश में अनमोल रंग-बिरंगे पक्षियों और उनके कोलाहल का बने रहना सुनिश्चित हो सके।
(लेखक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक (वन्यजीव) हैं।)