न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होने से 86 फीसद किसानों की कमर टूट जाएगी-अजय लल्लू
लखनऊ। कृषि से संबंधित विधेयकों को लेकर विपक्षी दल केन्द्र सरकार पर हमलावार बने हुए हैं। प्रदेश कांगेस ने तीनों कृषि सम्बंधित विधेयकों-कृषक उपज व्यपार और वाणिज्य विधेयक, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसान समझौता और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक को किसान विरोधी करार देते हुए इसे अन्नदाताओं की कमर तोड़ने वाला और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने वाला कदम करार दिया।
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि मौजूदा पारित तीनों कृषि विधेयक आम किसानों को समूल नष्ट कर देने वाले हैं। तीनों विधेयक प्रदेश के लाखों मझोले और सीमांत किसान के ऊपर भारी पड़ेंगे और उनकी समूची खेती-किसानी कर्ज में फंस के बिक जाएगी।
उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, फल और सब्जी को हटा लेने से जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा, कीमतों में अस्थिरता रहेगी जिसका खामियाजा देश की बेहाल, परेशान जानता को भुगतना पड़ेगा।
अजय लल्लू ने कहा कि एक देश एक समर्थन मूल्य के तहत प्रदेश में सारी फसलों, फल, अनाज, सब्जी आदि चीजों का पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होना चाहिए। उन्होंने मोदी सरकार पर देश की खेती-किसानी को कॉर्पोरेट के हवाले करने का कुचक्र रचने का आरोप लगाया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म होने से प्रदेश अधिकांश किसान (लगभग 86 फीसद) बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे। केन्द्र सरकार चाहती है कि कृषि क्षेत्र कॉर्पोरेट कंपनियों के फायदे के के लिए खुले जिससे हमारे मझोले और सीमांत किसान बर्बाद हो जायेंगे। बड़ी कंपनियों के कुचक्र में फंसकर किसान अपनी ही जमीन पर बंधुआ मजदूर बन कर रह जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश का बदहाल किसान पहले ही कर्ज के कुचक्र में फंसकर आत्महत्या कर रहा है ऐसे में यह तीन बिल उसकी ताबूत में कील साबित होंगे।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसकी वजह से जहां किसानों के हितों पर कुठाराघात होगा, वहीं सरकारों के विभाग मंडी परिषद और विपणन समितियों के खात्मे से उसमें सेवा दे रहे लाखों लाख कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अगर यह इसे वापस नहीं लेती तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेगी।