नोएडा के मॉडल पर बुन्देलखण्ड का होगा औद्योगिक विकास: दुर्गा शंकर मिश्रा
कानपुर (हि.स.)। सरकार जेवर हवाई अड्डे के पास के क्षेत्र को विकसित करने के साथ-साथ बुन्देलखण्ड क्षेत्र को नोएडा के मॉडल पर यूपी बुन्देलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण विकसित करने की एक प्रमुख योजना पर भी काम कर रही है। यह बात मंगलवार को आईआईटी कानपुर में महत्वाकांक्षी योजना का अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि उप्र के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कही।
उन्होंने कहा कि नोएडा में आरओसी की स्थापना के लिए विभिन्न क्षेत्रों से आए अनुरोध को सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ संबोधित किया जाएगा। सरकार उत्तर प्रदेश में 21 हवाई अड्डों और 12 नए विश्वविद्यालयों को चालू करने के लिए भी काम कर रही है।उत्तर प्रदेश की प्रतिभा के रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने के लिए यह उपाय किये जा रहे हैं। एआईएफ और स्टार्टअप्स के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए एक समर्पित सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित किया जाएगा। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की तर्ज पर उप्र में शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
इस मौके पर सिडबी के मुख्य महाप्रबंधक एसपी सिंह ने कहा राज्य में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय नीतियों और समर्थन उपायों की सराहना की। राज्य में स्थापित इनक्यूबेशन प्लेटफॉर्म और उत्कृष्टता केंद्र नवोन्मेषी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं। सिडबी, यूपी आईटी और स्टार्टअप नीति 2017 के तहत स्थापित 1000 करोड़ के यूपी स्टार्टअप फंड के माध्यम से और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए तैयार है। हम पूरे उत्तर प्रदेश में जीवंत स्टार्टअप संस्कृति को फलने-फूलने के लिए सरकार और सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर के प्रभारी प्रोफेसर अंकुश शर्मा और डॉ. निखिल अग्रवाल, सीईओ, एआई सीओई और फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एण्ड रिसर्च इन साइंस एण्ड टेक्नॉलजी (FIRST), आईआईटी कानपुर ने “यूपी स्टार्टअप्स के लिए अमृत-काल: अगले 25 वर्ष के लिए रोडमैप” विषय पर राज्य के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूदा गति का लाभ उठाने के लिए रणनीतियों की रूपरेखा रखी।
उप्र के नियोजन प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने में सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे उन्होंने पिछले दो वर्षों में 60 से अधिक इनक्यूबेटर और उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना की।
उप्र के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर ने कहा कि, इन प्रयासों ने नवीन विचारों को पोषित करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है, जिसमें अच्छी तरह से सुसज्जित स्टार्टअप इनक्यूबेटर किसी भी अवधारणा को एक व्यवहार्य उद्यम में बदलने के लिए तैयार हैं।
सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस. रमन्न ने कहा भारत सरकार की 10,000 करोड़ रूपए की फंड ऑफ फंडस् प्रतिबद्धता ने भारत के स्टार्टअप्स में 55,000 करोड़ रूपए से अधिक की वैश्विक पूंजी प्रवाह को प्रेरित किया, जिसके चलते सिडबी पहले ही 4,300 करोड़ की धनराशि वितरित कर चुका है। इसके परिणामस्वरूप लगभग 1,000 स्टार्टअप्स में लगभग 17,000 करोड़ का निवेश हुआ है। जिससे यह दर्शाता है कि कैसे वैकल्पिक निवेश फंड रिस्क कैपिटल के लिए पसंदीदा क्षेत्र बन गए हैं, जो स्टार्टअप्स को बड़े पैमाने पर नवीन समाधानों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर प्रभारी प्रोफेसर अंकुश शर्मा ने कहा, “एसआईआईसी आईआईटी कानपुर हमारे मजबूत इन्क्यूबेशन समर्थन के माध्यम से उत्तर प्रदेश की आकांक्षाओं को भारत का अगला अग्रणी स्टार्टअप हब बनने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और दुनिया के लिए उप्र में बने समाधान, विकसित करने के लिए नवप्रवर्तन को सशक्त बनाकर, हमारा लक्ष्य रोजगार सृजन और समान विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है, जिससे ‘स्टार्टअप इंडिया’ मिशन में योगदान दिया जा सके।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उप्र सरकार के मुख्य सचिव डी.एस. मिश्रा , सिडबी के सीएमडी एस. रमन , सहित प्रमुख सरकारी अधिकारी अनिल कुमार सागर, आलोक कुमार, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम,उप्र इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रवि रंजन सहित कई अधिकारी और 50 से अधिक शीर्ष उद्यमी उपस्थित रहे ।
राम बहादुर//बृजनंदन