नेपियर घास पशुपालकों के लिए अतिलाभकारी, इसके प्रयोग से बढ़ेगी किसानों की आय

कानपुर (हि.स.)। नेपियर घास किसान पशुपालकों के लिए अतिलाभकारी है। यह पशुओं के लिए हरे चारे के साथ ही उनके लिए पौष्टिक आहार भी है। इसे एक बार लगाने के बाद पांच वर्षो तक किसान पशुओं को हरा चारा खिला सकते हैं। इसके प्रयोग से जहां किसानों को खेत की जोताई के रूप में बचत होगी, वहीं पशुओं के लिए लाभकारी है। यह जानकारी रविवार को सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने दी।

नेपियर घास (हाथी घास)

मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारे की फसल है। यह किसानों और पशु पालकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। दुधारू पशुओं के लिए यह बेहतर हरा चारा है। इसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि नेपियर घास से सीएनजी और कोयला बनाने की तकनीक पर काम चल रहा है। इससे किसानों को भी कम खर्च में शानदार कमाई का मौका मिलेगा।

कैसे करें इसकी खेती

नेपियर घास की खेती रबी की फसल की कटाई के बाद खरीफ मौसम में और फरवरी-मार्च में की जाती है। इसकी खेती ज्यादा बारिश या सूखे-बंजर इलाकों में भी की जा सकती है। किसान चाहें तो खेत की मेड़ों पर की खेती कर सकते हैं। नेपियर में 55 से 60 प्रतिशत ऊर्जा तत्व एवं 8 से 10 प्रतिशत प्रोटीन होते हैं।

पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बताया कि इसके लगाने के लिए तने के टुकड़े को लेते हैं, जिसमें कम से कम दो गाठें होनी चाहिए। जिसको एक गांठ जमीन में तथा अन्य गांठ जमीन के ऊपर 45 डिग्री के कोण पर टेढ़ा करके लगाते हैं, यह पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा लाइन से लाइन की दूरी 1 मीटर रखते हैं, इस फसल से वर्ष भर में 150 से 200 हरा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है।

छत्तीसगढ़ से हुई शुरूआत

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के किसान ने नेपियर घास की शुरूआत की। उसने पुणे के एक रिसर्च फर्म से 250 ग्राम वाजरा-नेपियर घास लाया। जिसे किसान ने अपने खेत में लगाया, इसे अपने पशु को आहार के रूप में चारा दिया, नेपियर घास के उपयोग से दूध का उत्पादन बढ़ा और लागत में कमी आई, इस वेरायटी के नेपियर के पत्तियों में धार कम, अक्सीलेट्स कम, विटामिंस और टीडीएन वैल्यू अधिक अर्थात सुपाच्य पोषक तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इससे कम खर्च व कम मेहनत में पशुपालक किसान की आय बढ़ने की प्रबल संभावना है। वर्तमान में इससे 15 से 20 हजार रुपये हर महीने फायदा हो रहा है।

पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बताया कि नेपियर घास एक वर्षीय चारे की फसल है। इसके पौधे गन्ने की भांति लंबाई में बढ़ते हैं एक पौधे से 40 से 50 किल्ले निकलते हैं। यह पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक चारा है। जो सर्दी गर्मी व वर्षा ऋतु में कभी भी उगाया जा सकता है। जब किसानों के पास गर्मी में हरे चारे की किल्लत होती है। उस समय नेपियर घास पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में वरदान साबित होता है। इस घास को एक बार लगा लेने पर 5 साल तक लगातार प्रति महीना इससे हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।

मृदा बवैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि नेपियर घास कई प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है, जिसमें प्रचुर मात्रा में जीवांश पदार्थ उपस्थित हो इसके लिए सर्वोत्तम होती है। मृदा का पीएच मान 6.5 से 8 होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चारे में कच्ची प्रोटीन 10 से 11 प्रतिशत, इथर 3 प्रतिशत, रेशा 31 से 32 प्रतिशत,एन एफ ई 45 प्रतिशत एवं भस्म 14 प्रतिशत पाया जाता है।

राम बहादुर/राजेश तिवारी

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