निलंबन एवं बर्खास्तगी में क्या अंतर है?
नालेज डेस्क
भारत में सरकारी नौकरी में निलंबित हो जाना निजी नौकरी से निकाल दिए जाने से अलग है। निलंबित कर्मचारी को कार्य करने से वंचित कर दिया जाता है। एक निलंबित सरकारी कर्मचारी हमेशा अपनी निलंबन अवधि के दौरान अपने वास्तविक वेतन के 50 फीसद के हकदार होंगे। उसे जांच कमेटी के मामले के अपने पक्ष का प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता होगी। उनका निलंबन रद्द किया जा सकता है और वह अपना काम फिर से शुरू कर सकते हैं। एक बार जब वह निर्दोष साबित हो जाता है, तो उसे शेष सभी भुगतानों (निलंबन के दौरान 50 फीसद वेतन) के साथ-साथ अन्य सभी वेतन वृद्धि मिलेंगी, जो कि उसके निलंबन अवधि के दौरान सरकार द्वारा रोकी गई हो सकती है। यदि जांच कमेटी का निर्णय निलंबित कर्मचारी के पक्ष में नहीं आता है, तो वह हमेशा के लिए किसी भी सिविल, लेबर कोर्ट का रुख करने के लिए स्वतंत्र है, जो एक निष्पक्ष निर्णय मांगता है। अधिकांश निलंबन समयबद्ध हैं। यदि कर्मचारी चुप रहना पसन्द करता है, तो वह निलंबन की अवधि पूरी होने के बाद अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर सकता है। बर्खास्तगी में कर्मचारी को नौकरी से निकल दिया जाता है। कर्मचारी को प्राप्त सभी प्रकार की सेवाएं बंद कर दी जाती हैं, जिसमे उसका वेतन भी शामिल होता है। यदि व्यक्ति अब कहीं और नौकरी करने के लिए जाता है तो वहाँ उसका यह बताना आवश्यक हो जाता है की उसे उक्त नौकरी से बख़ार्स्त किया गया है। इसके बाद अब यह नियोक्ता पर निर्भर करता है की व्यक्ति को कार्य पर रखना चाहता है या नहीं।
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