निर्दलीय उम्मीदवार ने बसपा, सपा के मजबूत गढ़ में लगाई सेंध
महोबा में सदर सीट के लिए मचा घमासान
महोबा (हि.स.)। महोबा में नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर अब चुनावी घमासान मच गया है। भाजपा जहां इस सीट पर कमल खिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगायी है, वहीं सपा और बसपा ने भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगाई है।
इन सबके बीच चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवारों के दलीय उम्मीदवारों के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने से चुनाव रोचक मुकाबले में आ गया है। इस बार व्यापार मंडल में दलीय उम्मीदवारों से दूरी बनाए हैं। जिससे भाजपा और सपा में बेचैनी देखी जा रही है।
महोबा जिले में नगर पालिका परिषद की दो और नगर पंचायत की तीन सीटें हैं। इस बार नगर पालिका परिषद की सदर सीट पहली बार पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित होने से सामान्य वर्ग के वोटों का बिखराव तय माना जा रहा है। भाजपा से पहली बार डा. संतोष चौरसिया चुनाव मैदान में कमल खिलाने के लिए बेताब है, सपा ने कई दशक बाद पहली मर्तबा मुस्लिम कार्ड चला है। सपा से बाबू मंसूरी अपनी बिरादरी और पार्टी के परम्परागत वोटों को लेकर बड़ी उम्मीद पाली है लेकिन बसपा के टिकट से समद राइन के चुनाव मैदान में आने के बाद सपा के समीकरण अब गड़बड़ा गए हैं। और तो और यासीन मास्टर ने इस बार निर्दलीय रूप से चुनावी समर में आकर सपा और बसपा के जातीय समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं।
मुस्लिम मतों के बिखरने से साइकिल की रफ्तार को लगेगा ब्रेक
महोबा शहर की सदर सीट पर पिछले चुनाव में निर्दलीय महिला दिलाशा तिवारी ने कब्जा किया था। बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। यहां भाजपा और सपा समेत अन्य दलों को मतदाताओं ने ठेंगा दिखाया था। महोबा नगर में करीब पन्द्रह हजार मुस्लिम मतदाता है जिन्हें लेकर अखिलेश यादव ने पहली बार मुस्लिम बिरादरी से बाबू मंसूरी को उम्मीदवार बनाया है लेकिन बसपा ने इनके समीकरण बिगाड़ने के लिए मुस्लिम बिरादरी से समद राइन को चुनाव मैदान में उतारा है जिससे सपा और बसपा के उम्मीदवार एक दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। और तो और निर्दलीय उम्मीदवार यासीन मास्टर, सपा और बसपा के जातीय समीकरण उलट पलटने में जुटे हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार ने अब प्रमुख दलों के गढ़ में शुरू की सेंधमारी
महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर अब निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनावी घमासान तेज कर दिया है। यहां बड़े व्यापारी भूपेन्द्र साहू पहली बार निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में आए है। इन्हें व्यापार मंडल ने खुला समर्थन दिया है। जिससे भाजपा और सपा के समीकरण अभी से बिगड़ने लगे हैं। सदर सीट के लिए इस बार प्रमुख दल समेत 12 उम्मीदवार है। जिनमें ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार दलीय उम्मीदवारों के गढ़ में चुनाव प्रचार कर उनके वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी कर रहे हैं।
सदर सीट पर एक-एक बार भाजपा और कांग्रेस कब्जा कर चुकी है वहीं चार बार निर्दलीय उम्मीदवार सदर सीट पर काबिज हुए है।
पंकज/राजेश तिवारी