निकाय चुनाव: भाजपा के सामने नहीं टिक पा रहे अन्य दलों के उम्मीदवार

– पक्ष हो या विरोध,चुनाव चर्चाओं में केवल भाजपा

– गैर भाजपा दलों के उम्मीदवार अपनों की नाराजगी भी नहीं कर पा रहे दूर

गाजियाबाद(हि.स.)। महानगर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं में भले ही आपसी घमासान मचा हो, लेकिन गैर भाजपा दलों के उम्मीदवार अभी तक लड़खड़ा रहे हैं। यानि वे अभी तक कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। जिसके चलते पक्ष हो या विपक्ष चुनाव चर्चाओं में सिर्फ भाजपा ही दिख रही है। साथ ही लगभग सभी राजनीतिक दलों के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी साफ तौर पर दिख रही है।

नाम वापसी की प्रक्रिया गुरुवार को पूरी होने के बाद शुक्रवार को चुनाव चिह्न आवंटित हो जाएंगे। इसके बाद चुनाव प्रचार में तेजी आएगी, लेकिन अभी तक की स्थिति में भाजपा के सामने अन्य दलों के उम्मीदवार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। लाख अंतर्विरोध होने के बाद भारतीय जनता पार्टी का संगठन व उम्मीदवार अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। रूठों को मनाने से लेकर चुनाव संचालन समिति तक का गठन भाजपा कर चुकी है। इसको लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं और महापौर उम्मीदवार सुनीता दयाल ने चुनावी सम्पर्क भी तेज कर दिया है।

समाजवादी पार्टी(सपा) की उम्मीदवार पूनम यादव के पति सिकन्दर यादव अपनी मंडली के साथ जनसंपर्क तो कर रहे हैं, लेकिन पार्टी संगठन कहीं नहीं दिख रहा है। पार्टी इस चुनाव को कितना गम्भीरता से ले रही है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष पदों पर हाल ही में नियुक्ति की है,दोनों ही नए हैं। ये लोग समझ भी नहीं पा रहे हैं कि चुनाव लड़ने की रणनीति कैसे बने।

कांग्रेस उम्मीदवार की स्थिति भी बेहद दयनीय नजर आ रही है। पहले से ही आपसी गुटबाजी की शिकार कांग्रेस संगठन ही कांग्रेस उम्मीदवार के सामने बड़ी चुनौती है। पुराने कांग्रेसी उन्हें पहचानने से भी इंकार कर रहे हैं। नाराज कांग्रेसियों को मनाना या निष्क्रिय कांग्रेसियों को सक्रिय करने के प्रयास तक अभी शुरू नहीं किया गया है।

जहां तक बसपा उम्मीदवार नसारा खान की बात है तो नसारा खान केवल दलित, मुस्लिम मतों के एकीककरण की आस में चुनाव लड़ रही हैं। चुनाव में अभी वह कहीं दिखाई नहीं पड़ रही हैं। आप पार्टी की भी लगभग यही स्थिति है। वहां अभी तक कोई हलचल नही दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अभी तक जो स्थिति है उसमें ऐसा लग रहा है कि गैर भाजपा दलों ने भाजपा को वॉकओवर दे दिया है।

फरमान अली/राजेश तिवारी

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