नवजातों को नया जीवन दे रहा एमएनसीयू वार्ड, मिल रहा इलाज

बुलंदशहर(हि.स.) जिला कस्तूरबा महिला अस्पताल में कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब (सीईएल) के वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग से मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) वार्ड का निर्माण हुआ है। एमएनसीयू वार्ड का संचालन शुरू हो गया है। संचालित एमएनसीयू वार्ड में कम वजन के नवजात शिशु को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाता है, जिसमें माता की विशेष देखरेख में नवजात शिशुओं को उपचार दिया जा रहा है।

जनपद में एमएनसीयू वार्ड का निर्माण होने से मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। वार्ड में कम वजन वाले बच्चे भर्ती रहकर अपना शारीरिक विकास कर सकेंगे। अब तक एमएनसीयू वार्ड में फिलहाल 75 नवजात शिशुओं को भर्ती कर उपचार दिया जा चुका है।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. ज्योत्सना कुमारी ने बुधवार को यह बताया कि महिला अस्पताल में मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट का निर्माण हुआ है। कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब के वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग से इस 20 बेड की यूनिट का संचालन किया जा रहा।

मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) वार्ड एक विशेष प्रकार की इकाई है जो कि कंगारू मदर केयर (केएमसी) से प्रेरित है। जिस प्रकार मादा कंगारू अपने शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी थैली में नवजात को सीने से लगाए घूमती है, उसी प्रकार माता उन नवजातों को जिनका जन्म समय पूर्व हो जाता है या जो नवजात जन्म के समय कम वजन के होते हैं उनको उनकी मां एक विशेष कक्ष में अपने सीने से लगाकर रखती हैं।

उन्होंने बताया कि एमएनसीयू वार्ड में केएमसी देते हुए सभी उपचार किए जाते हैं, ताकि बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य रहे। इंफेक्शन कम हो, स्तनपान भी जारी रहे। मां और शिशु के बीच बॉन्डिंग बने और उनकी जान बच सके। यहां मां एवं नवजात दोनों को एक साथ बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की गई।

इसके अतिरिक्त यूनिट में प्रसव के बाद मां और शिशु को एक साथ रखने की व्यवस्था है, जिसमें मां अपने बच्चों को केएमसी दे सकती है। मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट एमएनसीयू वार्ड का निर्माण होने से मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। जनपद में यह वार्ड एक मॉडल के रूप में तैयार किया गया है।

जनपद में प्रदेश का पहला एमएनसीयू वार्ड का मॉडल तैयार किया गया है। इसी के आधार पर कई जनपदों में मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) वार्ड बनाए जा रहे हैं।

सचिन

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