नई दिल्ली : कोरोना वैक्सीन ले चुके सिर्फ सात डॉक्टरों की मौत हुई
नई दिल्ली । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि अब तक 329 डॉक्टरों की कोरोना की दूसरी लहर में मौत हो चुकी है, हालांकि इनमें से सिर्फ 7 डॉक्टर ही ऐसे थे, जिन्हें कोरोना वैक्सीन के दोनों टीके लग चुके थे। देश के नामी निजी अस्पतालों में से एक मैक्स हेल्थकेयर ने अपने अध्ययन में कहा है कि निस्संदेह कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक जिंदगी बचाने में सबसे महत्वपूर्ण है।
मैक्स हास्पिटल का कहना है कि उसके यहां सभी 13,965 स्वास्थ्यकर्मियों ने कोविड वैक्सीन ली और उनमें से सिर्फ 6 फीसदी ही संक्रमित हुए। इनमें से 10 में से 9 मरीज घर पर ही स्वस्थ हो गए, जबकि 100 में से एक स्वास्थ्यकर्मी को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। इसमें सिर्फ एक मौत का मामला सामने आया। अपोलो हेल्थकेयर ने अपने अध्ययन में वैक्सीनेशन के पहले 100 दिन में ऐसे ही नतीजे पाए हैं।
अपोलो के अध्ययन में 3235 स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया। इनमें से 2481 को कोरोरोना की दोनों डोज और 754 को पहली खुराक लग चुकी थी। इनमें से टीकाकरण कराने वाले 97.38 फीसदी लोगों को संक्रमण से पूरा बचाव रहा। इनमें किसी को संक्रमण के कारण आईसीयू में भर्ती नहीं करना पड़ा और न ही कोई मौत हुई।
आईएमए प्रमुख ने कहा, सभी मर्त डॉक्टरों के टीकाकरण की स्थिति को लेकर सटीक आंकड़े नहीं हैं। लेकिन कोरोना की दोनों वैक्सीन का न लगना डॉक्टरों की मौत का सबसे बड़ा कारण रहा है। अगर देखा जाए तो देश रोजाना 20 डॉक्टरों को कोरोना के कारण खो रहा है। इसमें सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को शामिल किया गया है। अब तक कोरोना की पहली लहर के बाद से 1065 डॉक्टरों की मौत कोविड के कारण हो चुकी है। इनमें से 736 की मौत पिछले साल हुई थी।