धर्म कर्म : श्री राम जन्मोत्सव के समय चारों ओर हर्षो-उल्लास का माहौल था


“भये प्रगट कृपाला दीन दयाला” चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में राजा दशरथ के घर में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न उनके भाई थे। हर साथ चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन राम नवमी का पर्व बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। जिस दिन अयोध्या में माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ था, उस दिन चारों ओर हर्षों- उल्लास का माहौल था।
तो जानते हैं भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्मोत्स की विशेश बातें
धार्मिक पुराणों के अनुसार राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था, जिसके बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। राम उनके सबसे बड़े पुत्र थे।
श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में, दोपहर के समय में हुआ था जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे और उस सम अभिजीत महूर्त था।
भगवान श्री राम के जन्म के समय शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रही थी। देवता और संत खुशियां मना रहे थे। सभी पवित्र नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
भगवान के जन्म के बाद ब्रह्माजी के साथ सभी देवता विमान सजा-सजाकर अयोध्या पहुंच गए थे। आकाश देवताओं के समूहों से भर गया था।
संपूर्ण नगर में उत्सव का माहौल हो गया था। राजा दशरथ आनंदित थे। सभी रानियां आनंद में मग्न थीं। राजा ने ब्राह्मणों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया।
शोभा के मूल भगवान के अयोध्या में प्रकट होने के बाद घर-घर में मंगल गीत गाकर, ढोल नगाडे बजाकर, एवं बधाईयॉं दी जाने लगीं। अयोध्या में ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से देवता भी भगवान श्रीराम के प्रकटोत्सव के दर्शन करने अयोध्यावासियों की वेशभूषा में पधारे हों और इस प्रकार संपूर्ण नगरवासियों ने भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया।

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