धर्मांतरण विरोधी कानून वैधता की चुनौती याचिकाओं की सुनवाई 15 जनवरी को
यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब
प्रयागराज (हि.स.)। पहचान बदलकर लब जेहाद के जरिये धर्मान्तरण पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में बने कानून के वैधता की चुनौती याचिकाओं की सुनवाई अब 15 जनवरी को होगी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने दिया है। राज्य सरकार की तरफ से याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी मामले को दाखिल याचिका पर की गयी कार्यवाही की जानकारी दी गयी। कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कानून के क्रियान्वयन पर अंतरिम आदेश जारी नही किया है और नोटिस जारी किया है।
याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी कानून को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद व शर्तों पर व्यक्ति के साथ रहने व धर्म अपनाने के मूल अधिकारों के विपरीत है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। इसे रद्द किया जाय। इस कानून का दुरूपयोग किया जा सकता है।
राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है। जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नही होता। वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है। इससे छल-छद्म के जरिये धर्मान्तरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गयी है। जनहित याचिकाओं की सुनवाई 15 जनवरी को होगी।