देश में मानसून की धारा की शुरुआत के शुभ संकेत नहीं : मौसम वैज्ञानिक

कानपुर (हि.स.)। अरब सागर की मौसम प्रणालियां आमतौर पर प्रायद्वीपीय भारत में मानसून की धारा की शुरुआत के लिए शुभ संकेत नहीं है। इनमें से कुछ प्रणालियां भू-माफिया से सुरक्षित दूरी रखते हुए पश्चिमी तट के समानांतर चलती है। ऐसे में वर्षा केवल केरल राज्य, तटीय कर्नाटक, गोवा और कोंकण क्षेत्र तक ही सीमित हो जाती है। यह जानकारी मंगलवार को सीएसए मौसम वैज्ञानिक डॉ. एन. एन. सुनील पांडे ने दी।

उन्होंने बताया कि पड़ोसी लक्षद्वीप और दक्षिण पूर्व अरब सागर क्षेत्र के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। जिससे आगामी चौबीस घंटों में इसी क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके बाद के 48 घंटों में इसके कोर एरिया में बहुत कम बदलाव के साथ इसके और मजबूत होने की संभावना है। यह लक्षद्वीप एवं केरल से शुरू करने के लिए मुख्य भूमि पर मानसून की धारा को भी ट्रिगर कर सकता है।

श्री पांडे का कहना है कि मानसून भंवर के आगे के विकास पर संख्यात्मक मॉडल अस्पष्ट परिणामों के साथ खराब हो गए हैं। मौसम प्रणाली को आगामी 48 घंटों तक निगरानी में रहने की आवश्यकता है। एक बार जब सिस्टम कम दबाव एवं अच्छी तरह से चिह्नित कम दबाव बन जाएगा तो थोड़ी और स्पष्टता सामने आएगी।

4-5 दिनों की अवधि में उष्ण कटिबंधीय तूफान बनने के लिए ऐसी प्रणालियों की तीव्रता के लिए अरब सागर के इस हिस्से पर पर्यावरणीय परिस्थितियां काफी अनुकूल हैं। हालांकि, इस तरह के समुद्री गड़बड़ी के संभावित परिणामों के बारे में प्रामाणिक रूप से टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। जून के शुरुआती दिन भयानक तूफानों की मेज़बानी के लिए बदनाम रहते हैं।

राम बहादुर/राजेश

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