दुर्घटना दावा में धारा 10 की नोटिस अनिवार्य नहीं : हाईकोर्ट
सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजा दावा पोषणीय
प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बीमा कंपनी के खिलाफ दावा इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि धारा 10 की नोटिस नहीं दी गयी है। जब बीमा कंपनी की शाखायें है तो घटनास्थल से दूर दूसरे जिले में किया गया दुर्घटना मुआवजा दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसा दावा पोषणीय है और क्षेत्राधिकार से बाधित नहीं है।
कोर्ट ने बिहार के सिवान जिले की दुर्घटना पर गोरखपुर में मुआवजा दावा अवार्ड की वैधता की बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिडला ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि. की आदेश के खिलाफ प्रथम अपील पर दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि कर्मकार मुआवजा एक्ट सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी है। यह कर्मकारो को संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह धारा 10 के अंतर्गत नोटिस बगैर दावा सुनने को प्रतिबंधित करती है। किन्तु इसकी कड़ी व्याख्या नहीं की जा सकती। नोटिस देने का उपबंध निर्देशात्मक है, अनिवार्य नहीं है। धारा 10 की नोटिस नहीं भी है तो भी अधिकरण दावे का निपटारा कर सकता है और क्षेत्राधिकार के आधार पर भी दावा खारिज नहीं किया जा सकता।
बीमा कंपनी का कहना था कि दुर्घटना सीवान मे हुई। जिससे दुर्घटना हुई वह गाड़ी भी सीवान की है। कंपनी की शाखा भी सीवान में है। ऐसे में गोरखपुर अधिकरण को दावा सुनने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। जारी अवार्ड निरस्त किया जाय। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा का दावा करने वाले भूमिहीन श्रमिक हैं। वे सीवान से शिफ्ट कर गोरखपुर में रह रहे हैं। गाड़ी का मालिक कुशीनगर का है। बीमा कंपनी का आफिस भी गोरखपुर में है। ऐसे मे कंपनी को कोई फर्क नहीं पडे़गा। उसका कोई वैधानिक नुकसान नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सीवान की घटना पर गोरखपुर में मुआवजा दावे का अवार्ड देना गलत नहीं है। अधिकरण को क्षेत्राधिकार है। केवल नोटिस न देने के कारण दावा खारिज नहीं किया जा सकता।