दुनिया को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधेगा ‘अयोध्या अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान’

लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने अयोध्या शोध संस्थान को अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके तहत इस संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या, रामायण और भारतीय वैदिक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके माध्यम से दुनिया को अयोध्या से और अयोध्या को दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि संस्कृति विभाग के अधीन 18 अगस्त 1986 से संचालित अयोध्या शोध संस्थान को अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करते हुए अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के रुप में विकसित किया जाना है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की अवतरण स्थली अयोध्या की प्रसिद्धि वैश्विक स्तर पर है। सनातन संस्कृति के मूलाधार एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए श्रीराम को संपूर्ण विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। संपूर्ण विश्व को एक सूत्र में पिरोने का एक मात्र माध्यम सांस्कृतिक एकता है जो रामलीला एवं रामायण परंपरा के माध्यम से भली-भांति से परिपूर्ण किए जाने में सहायक होगा।

राम कथा और रामलीला होगी और अधिक समृद्ध

प्रवक्ता ने बताया कि अयोध्या में अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना से संपूर्ण विश्व में होने वाली रामकथाओं से जुड़े साहित्य पर गंभीरता से अध्ययन किया जाएगा एवं शोध के माध्यम से इसमें छुपे रहस्यों को समझने का प्रयास किया जाएगा। माना जाता है कि दुनिया भर में जो राम कथा का प्रचलित साहित्य है वो अलग-अलग ग्रंथों और विद्वानों द्वारा संकलित किया गया है। उसमें ऐसा बहुत कुछ है जिसमें शोध की आवश्यकता है, ताकि राम और रामायण से जुड़े रहस्यों को और गंभीरता से सुलझाने का प्रयास किया जा सके ताकि उसे सत्य की कसौटी पर परखते राम कथाओं को और उनसे जुड़े साहित्य को और अधिक समृद्ध किया जा सके।

हर किसी के लिए सुलभ होगा शोध साहित्य

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के द्वारा शोध किए गए साहित्य का प्रचार प्रसार भी किया जाएगा। ये साहित्य संस्थान के माध्यम से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसमें सबसे खास बात ये होगी कि यह साहित्य कम से कम मूल्य में सर्वसाधारण को उपबल्ध हो, इस कार्य को प्राथमिकता से किया जाएगा, ताकि हर किसी तक इसे सुलभ बनाया जा सके। इसके साथ ही इस साहित्य का कई भाषाओं में अनुवाद भी होगा, ताकि हर कोई इससे जुड़ाव महसूस कर सके।

विश्वविद्यालयों और संस्थाओं से होगा एमओयू

उन्होंने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान को अधिक प्रभावशाली बनाए जाने के लिए इसे देश एवं विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थाओं से एमओयू के माध्यम से जोड़ा जाएगा, ताकि इससे अन्य विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को भी जोड़ा जा सकेगा। खासतौर पर वे विश्वविद्यालय और संस्थान प्राथमिकता में रहेंगे जो धार्मिक साहित्य पर विशेष शिक्षा प्रदान करते हैं।

पीएन द्विवेदी/दिलीप

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